नई दिल्ली. अमेरिका और चीन में एल्युमिनियम और एल्युमिनियम स्क्रैप पर 10 से 25 परसेंट तक की इंपोर्ट ड्यूटी लगने के बाद से भारत एल्युमिनियम कबाड़ का डंपिंग ग्राउंड बनता जा रहा है. देश में एल्युमिनियम की साल भर में जितनी खपत है, उससे ज्यादा एल्युमिनियम बनने के बाद भी घरेलू जरूरत का 60 परसेंट तक एल्युमिनियम विदेश से आयात हो रहा है. नतीजा- एक तरफ तो देसी एल्युमिनियम उद्योग नुकसान उठा रहे हैं तो दूसरी तरफ देश का विदेशी मुद्रा गैरजरूरी आयात के चक्कर में बाहर जा रहा है.
देश में वित्त वर्ष 2017-18 में कुल एल्युमिनियम आयात का 57 परसेंट हिस्सा सिर्फ स्क्रैप था जिसे लाने के चक्कर में 13000 करोड़ रुपए मूल्य की विदेशी मुद्रा देश से बाहर चली गई. हाल में अमेरिका ने एल्युमिनियम के आयात पर 10 परसेंट तो चीन ने अमेरिका से एल्युमिनियम स्क्रैप लाने पर 25 परसेंट ड्यूटी लगा दिया है. इसकी वजह से दुनिया भर के स्क्रैप का आयात भारत की तरफ काफी बढ़ गया है. चीन एल्युमिनियम स्क्रैप का आयात जुलाई, 2019 से रोक रहा है और 2020 तक वो तमाम तरह के स्क्रैप और कबाड़ के आयात पर रोक लगाने जा रहा है.
भारतीय एल्युमिनियम कंपनियां काफी मात्रा में एल्युमिनियम स्क्रैप पैदा कर सकती हैं फिर भी भारत एल्युमिनियम स्क्रैप के आयात के लिए पूरी तरह से विदेश पर निर्भर है. चालू वित्त वर्ष के 8 महीनों में लंदन मेटल एक्सचेंज में एल्युमिनियम की कीमत 23 परसेंट नीचे गिरकर 500 डॉलर मीट्रिक टन टूट चुकी है. वहीं दूसरी तरफ देश में एल्युमिनियम उद्योग में उत्पादन लागत 30 परसेंट से ऊपर बढ़ा है जो करीब 560 डॉलर मीट्रिक टन बनता है. इंडस्ट्री परेशान है. एक तरफ बढ़ रहा उत्पादन लागत और दूसरी तरफ विदेश से आ रहा एल्युमिनियम स्क्रैप.
देसी एल्युमिनियम इंडस्ट्री को लगता है कि सरकार को एल्युमिनियम स्क्रैप और प्राइमरी एल्युमिनियम पर तांबा, जिंक, निकेल की तर्ज पर तत्काल 10 परसेंट इंपोर्ट ड्यूटी लगा देना चाहिए. भारत की सबसे बड़ी एल्युमिनियम उत्पादन कंपनी वेदांता ग्रुप के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सार्वजनिक अपील की है कि इंडिया को दुनिया का डंपिंग ग्राउंड बनने से रोकने के लिए एल्युमिनियम स्क्रैप पर इंपोर्ट ड्यूटी जल्दी 2.5 परसेंट से बढ़ाकर 10 परसेंट करने की जरूरत है.
अनिल अग्रवाल ने सरकार से एल्युमिनियम आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने की अपील भी की है जो एल्युमिनियम से तैयार होने वाली चीजें बनाकर उसका निर्यात कर सकें. अग्रवाल ने ट्वीट में कहा है कि भारत में एल्युमिनियम की घरेलू जरूरत सालाना 36 लाख टन है जबकि सालाना उत्पादन 42 लाख टन हो रहा है और इसके बावजूद 60 परसेंट आयात करने के कारण बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा देश से बाहर जा रहा है.
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