नई दिल्ली : चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कुछ समय पहले देश के लंबित मामलों का आंकड़ा साझा किया था और कहा था कि देश में वकीलों की कमी के चलते 60 लाख से ज्यादा मामले लंबित है. ये समस्या देश में लंबे समय से चल रही है जिसे लेकर अब रिपोर्ट जारी की गई है. जेल में बंद पिछले 10 सालों में कैदियों की संख्या दोगुनी हो गई है. एक रिपोर्ट के अनुसार हर राज्य में कैदियों की संख्या बढ़ रही है. जेल में बंद 22 फीसदी कैदी ऐसे है जिनको दोषि करार दिया गया है. वहीं जेल में बंद 77 फीसदी कैदियों का ट्रायल चल रहा है.
एक रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले 10 वर्षों में अंडर ट्रायल कैदियों की संख्या में इजाफा हुआ है. 2010 में अंडरट्रायल कैदियों की संख्या 2.4 लाख थी वहीं 2020 में लगभग दोगुनी हो गई यानी 4.3 लाख हो गई. सबसे अधिक अंडरट्रायल कैदियों की संख्या नार्थ ईस्ट में सबसे ज्यादा है.
जेलों में जिस तरह से कैदियों की संख्या बढ़ रही है उस हिसाब से जेल में कर्माचारियों की संख्या नहीं बढ़ रही है. जेल में कर्मचारियों की भारी कमी है जिसके चलते कैदियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. 200 कैदियों पर एक जेल अधिकारी होना चाहिए. इस मापदंड को केवल तमिलनाडु और चंडीगढ़ पूरा कर रहा है.
जीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कुछ समय पहले एक सम्मेलन में चिंता व्यक्त की थी. उन्होंने कहा था कि वकीलों के कमी के चलते देश में लंबित मामलों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. 10 लाख से अधिक मामले दस्तावेजों के इंतजार के कारण लंबित पड़े है. जेल में लगातार अंडर ट्रायल कैदियों की संख्या बढ़ रही है जिसको लेकर भी चिंता व्यक्त की थी.
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