नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा कि कोरोना और मंकीपॉक्स दुनिया के सामने बड़ी चुनौतियां हैं। 15 देशों में अब तक मंकीपॉक्स के संक्रमण के 100 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। जिनेवा में विश्व स्वास्थ्य सभा को संबोधित करते हुए डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अदनाम घेब्रेयसस ने कहा कि निश्चित रूप […]
नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा कि कोरोना और मंकीपॉक्स दुनिया के सामने बड़ी चुनौतियां हैं। 15 देशों में अब तक मंकीपॉक्स के संक्रमण के 100 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। जिनेवा में विश्व स्वास्थ्य सभा को संबोधित करते हुए डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अदनाम घेब्रेयसस ने कहा कि निश्चित रूप से कोरोना महामारी भी अभी खत्म नहीं हुई है।
इसके अलावा, 21 देशों में बच्चों में रहस्यमय हेपेटाइटिस के कम से कम 450 मामले सामने आए हैं। इससे 12 बच्चों की जान चली गई है। वहीं दूसरी ओर मंकीपॉक्स को तेजी से फैलते देख भारत भी सतर्क हो गया है। सोमवार को मुंबई के बृहन्मुंबई नगर निगम ने मंकीपॉक्स के संदिग्ध मरीजों के लिए कस्तूरबा अस्पताल में 28 बेड का आइसोलेशन वार्ड तैयार किया है। हालांकि अभी तक देश में इस बीमारी का एक भी मामला सामने नहीं आया है।
मंकीपॉक्स को लेकर केंद्र सरकार की चिंता भी बढ़ गई है। तेजी से फैल रहे संक्रमण को देखते हुए राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) को अलर्ट जारी कर दिया गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने हवाई अड्डों और बंदरगाहों के अधिकारियों को किसी भी बीमार यात्रियों को तुरंत अलग करने का निर्देश दिया है, जो मंकीपॉक्स प्रभावित देशों की यात्रा करके लौटे हैं और परीक्षण के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे को नमूने भेजे हैं।
महाराष्ट्र के मुंबई नगर निकाय ने कुछ देशों से मंकीपॉक्स के मामले सामने आने के बाद यहां के कस्तूरबा अस्पताल में संदिग्ध मरीजों को आइसोलेट करने के लिए 28 बेड का वार्ड तैयार किया है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के जन स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि शहर में अब तक मंकीपॉक्स के किसी भी संदिग्ध या पुष्ट मामले की कोई रिपोर्ट नहीं मिली है। वायरल जूनोटिक बीमारी के संबंध में जारी एक सलाह में बीएमसी ने कहा कि हवाई अड्डे के अधिकारी स्थानिक और गैर-स्थानिक देशों से आने वाले यात्रियों की जांच कर रहे हैं।
मंकीपॉक्स एक वायरल संक्रमण है जो पहली बार 1958 में कैद किए एक बंदर में पाया गया था। मनुष्यों में इसके संक्रमण की पुष्टि पहली बार 1970 में हुई थी। इसका वायरस चेचक के विषाणुओं से संबंधित है। मंकीपॉक्स का संक्रमण आंख, नाक और मुंह से फैल सकता है। यह मरीज के कपड़े, बर्तन और बिस्तर को छूने से भी फैलता है। इसके अलावा बंदर, चूहे, गिलहरी जैसे जानवरों के काटने या उनके खून और शरीर के तरल पदार्थ को छूने से भी मंकीपॉक्स फैल सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, मंकीपॉक्स के लक्षण संक्रमण के 5वें दिन से 21वें दिन तक दिखाई दे सकते हैं। शुरूआती लक्षण फ्लू जैसे होते हैं। इनमें बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, कंपकंपी, थकान और सूजी हुई लिम्फ नोड्स शामिल हैं। इसके बाद चेहरे पर मवाद से भरे पिंपल्स दिखने लगते हैं, जो शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल जाते हैं और कुछ दिनों बाद सूखकर गिर जाते हैं।