नई दिल्ली: हिंदू-मुस्लिम का मुद्दा अक्सर सुर्खियों में रहता है. एक खबर पश्चिम बंगाल से आई है. यहां के एक हनुमान मंदिर में मुस्लिम समुदाय द्वारा पूजा-अर्चना की जाती है. ऐसे में आइए जानते हैं इसके पीछे की कहानी क्या है.
हर धर्म में पूजा-पाठ के अलग-अलग नियम होते हैं. हिंदू धर्म के लोग मंदिरों में पूजा करने जाते हैं. मुसलमान नमाज पढ़ने के लिए मस्जिदों में जाते हैं. लेकिन देश में कुछ ऐसे मंदिर भी हैं जहां हिंदू और मुस्लिम एक साथ प्रार्थना करते हैं. इन्हीं मंदिरों में से एक है पश्चिम बंगाल के पूर्वी बर्धमान जिले में स्थित हनुमान मंदिर. हनुमान मंदिर में पूजा की जिम्मेदारी मुस्लिम धर्म के लोग संभालते हैं. ऐसा पिछले कुछ सालों से हो रहा है. ऐसे में आइए आपको बताते हैं कि इसके पीछे की कहानी क्या है?
बर्धमान जिले के मेमारी के तकतीपुर में स्थित इस मंदिर की स्थापना इलाके के एक मुस्लिम निवासी ‘मेहर अली’ ने की थी. इस मंदिर में हर शनिवार और मंगलवार को नियमित पूजा होती है. इसके अलावा यहां दैनिक सेवा भी की जाती है. साथ ही हर साल इस दिन हनुमान मंदिर में एक उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है.
बता दें कि 5 साल पहले पूर्वी बर्धमान जिले के मेमारी थाने के तकतीपुर गांव में हनुमान नाम के एक शख्स की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी. जिसके बाद मुस्लिम समुदाय के लोगों ने हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार हनुमान का अंतिम संस्कार किया. इसके बाद मेहर अली की पहल पर वहां बजरंगबली का मंदिर बनवाया गया. जिसके बाद पूजा की जिम्मेदारी मेहर अली संभाल रहे हैं.
इस इलाके में मुस्लिम समुदाय की बहुलता है. लेकिन सारी ईर्ष्या भुलाकर मुस्लिम समुदाय के लोग बजरंगबली की पूजा में शामिल होते हैं. मेहर अली ने बताया कि इस मंदिर में हिंदू और मुस्लिम धर्म के लोग आते हैं. मंदिर की पूजा का अधिकार मुसलमानों को दिया गया है. मंदिर की दैनिक सेवा में बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं. वहीं, मंदिर में पूजा करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं.
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