लाल किले में जहां पीएम नरेंद्र मोदी 15 अगस्त को भाषण देते हैं, उससे एकदम करीब आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने गुप्त हथियारों से भरा भंडार की खोज कर डाली है. 70 सालों से देश के प्रधानमंत्री लाल किला पर भाषण देते आ रहे हैं. वहीं अब 15 अगस्त से कुछ दिनों पहले आर्कियोलॉजिकल सर्वे ये नया प्रयास कर गुप्त हथियारों का चैम्बर ढूंढ निकाला हैं. लेकिन इतनी देर बाद क्यों, सवाल ये उठता है.
नई दिल्ली. ये काफी दिलचस्प मामला है। जिस लाहौरी गेट के पास देश के इतने प्रधानमंत्रियों ने हर 15 अगस्त को भाषण दिया, 70 साल से ये परम्परा चली आ रही है। उसी जगह के इतने करीब एक गुप्त चैम्बर मिला है, जो कि हथियारों के भंडार के तौर पर मुगलकाल में इस्तेमाल किया जाता था। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) ने उसे खोज निकाला है। लेकिन हैरत की बात है कि पिछले 70 सालों में ये प्रयास क्यों नहीं किया गया, जबकि वो प्रधानमंत्री के भाषण देने की जगह से कुछ ही फुट दूर है।
दरअसल लाहौर दरवाजे पर किले की दीवारों की सफाई का काम एएसआई कर रही थी। जब अधिकारियों ने पाया कि एक चैम्बर मिट्टी से पूरा अटा पड़ा है तो उसकी सफाई करवाई गई। तब जाकर खुलासा हुआ कि इसमें तो हथियार रखे जाते थे। हालांकि ना तो वहां से कोई हथियार बरामद हुआ है और ना ही अभी तक ये तय हो पाया है कि इसे किसने बनवाया था। हालांकि एएसआई के लोग कह रहे हैं या तो औरंगजेब ने इसे बनवाया था, या फिर अंग्रेजों ने 1857 की क्रांति में लाल किले पर कब्जे के बाद इसे बनवाया होगा।
लाहौरी ईंटों से बना ये चैम्बर या गोदाम अंडाकार आकार का है, 6 मीटर लम्बा है और 3 मीटर चौड़ा है और तीन मीटर चौड़ा है। इससे कुछ फुट की दूरी पर हर साल फ्लैग होस्टिंग सेरेमनी होती आई है। हालांकि एएसआई के अधिकारी इससे अभी तक अनजान थे, मिट्टी का ढेर लगता था उन्हें ये, लेकिन पहली बार इसकी सफाई की गई तो पता चला कि इसे हथियारों को छुपा कर रखने के चैम्बर के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था।
आपको बता दें कि पिछली साल भी सफाई के समय लाल किले के अंदर विस्फोटक और पुराने कारतूस मिलने से सनसनी फैल गई थी। जबकि 2004 में एक बिना इस्तेमाल की बावड़ी में हथियार मिले थे। आपको ये जानकर हैरत होगी कि इस बार जब से एएसआई ने लाल किले में से मिट्टी हटाने का प्रोजेक्ट हाथ में लिया है, 22 लाख किलो मिट्टी वहां से हटाई जा चुकी है। खास फोकस दीवारों पर है, जिसमें से पानी की सही निकासी ना होने के चलते लाल किले की दीवारें कमजोर हो चुकी हैं। इसलिए आधुनिक ड्रेनेज सिस्टम पर भी काम चल रहा है।
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