नई दिल्ली: सावन का महीना भगवान प्रिय महीना माना जाता है। इस दौरान भगवान शिव को सभी भक्त उनके दर्शन करने के लिए सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों में जाते हैं। इन मंदिरों का धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यंत ऊँचा है। यहां सावन के महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है, जो भक्ति और श्रद्धा के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। सावन के महीने में भगवान शिव के दर्शन के लिए तीन सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों में काशी विश्वनाथ मंदिर, सोमनाथ मंदिर, और महाकालेश्वर मंदिर शामिल हैं। आइए जानते हैं इन मंदिरों की कथा और महत्व
कथा और महत्व: काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी में स्थित है, जिसे भगवान शिव की नगरी कहा जाता है। कहा जाता है कि इस स्थान पर स्वयं भगवान शिव ने आकर अपने ज्योतिर्लिंग का प्रकट किया था। इस मंदिर की स्थापना का विवरण पुराणों में मिलता है और यह हिन्दू धर्म के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
इतिहास: इस मंदिर का वर्तमान स्वरूप 1780 में मराठा साम्राज्ञी अहिल्याबाई होल्कर ने पुनर्निर्मित किया था। हालांकि, यह स्थल कई बार आक्रमण और विनाश का शिकार हुआ है, लेकिन हर बार इसे पुनः निर्मित किया गया।
महत्व: सावन के महीने में लाखों श्रद्धालु यहां आकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। यहां दर्शन करने से मोक्ष की प्राप्ति मानी जाती है।
कथा और महत्व: सोमनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से प्रथम है। इसका वर्णन ऋग्वेद में भी मिलता है। कहा जाता है कि चंद्रदेव (सुमन) ने भगवान शिव की आराधना की और उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया, जिससे उन्हें श्राप से मुक्ति मिली।
इतिहास: सोमनाथ मंदिर का निर्माण कई बार हुआ है। पहली बार इसे चंद्रदेव ने बनाया था। महमूद गजनवी ने इसे 1024 में लूटकर नष्ट कर दिया। इसके बाद इसे कई बार पुनर्निर्मित किया गया, और वर्तमान स्वरूप 1951 में सरदार वल्लभभाई पटेल के प्रयासों से अस्तित्व में आया।
महत्व: इस मंदिर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व अत्यंत ऊँचा है। सावन के महीने में यहाँ भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है, और यहां भगवान शिव के दर्शन का विशेष महत्व माना जाता है। इतना ही नहीं ऐसा माना जाता है कि सोमनाथ मंदिर का शिवलिंग हवा में है।
कथा और महत्व: महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन में स्थित है और यह भी भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। पुराणों में उल्लेख है कि यहाँ भगवान शिव ने स्वयं प्रकट होकर दुष्ट दैत्यों का संहार किया था।
इतिहास: इस मंदिर का निर्माण महाभारत काल से माना जाता है। राजा चन्द्रसेन और बाद में विक्रमादित्य ने इस मंदिर का विस्तार किया। वर्तमान स्वरूप 18वीं सदी में मराठा राजाओं द्वारा निर्मित हुआ।
महत्व: महाकालेश्वर मंदिर में भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से जीवन में शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। सावन के महीने में यहाँ विशेष रूप से भव्य उत्सव मनाए जाते हैं, और श्रद्धालु भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए यहाँ आते हैं।
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