Lokshabha: ट्रायल कोर्ट को तीन साल में सुनना होगा, भीड़ हिंसा में उम्रकैद का निर्णय

नई दिल्ली: विपक्ष के दो-तिहाई सदस्यों की अनुपस्थिति में गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में आपराधिक कानून में संशोधन के लिए तीन प्रमुख विधेयक पेश किए. ये तीन विधेयक भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेते. नए कानून के तहत ट्रायल कोर्ट को अधिकतम […]

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Lokshabha: ट्रायल कोर्ट को तीन साल में सुनना होगा, भीड़ हिंसा में उम्रकैद का निर्णय

Shiwani Mishra

  • December 20, 2023 12:38 pm Asia/KolkataIST, Updated 11 months ago

नई दिल्ली: विपक्ष के दो-तिहाई सदस्यों की अनुपस्थिति में गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में आपराधिक कानून में संशोधन के लिए तीन प्रमुख विधेयक पेश किए. ये तीन विधेयक भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेते. नए कानून के तहत ट्रायल कोर्ट को अधिकतम तीन साल के भीतर फैसला करना होगा. हालांकि विपक्षी गठबंधन के लगभग सभी सदस्यों की अनुपस्थिति में देर रात तीनों विधेयकों पर चर्चा हुई है. मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में पेश किए जाने के बाद तीनों विधेयकों को स्थायी समिति के पास भेजा गया था.जो आंतरिक मामलों के मंत्रालय के प्रमुख बुधवार यानि आज इस चर्चा पर टिप्पणी करेंगे.

सामुदायिक सेवा की सजा

सरकार की योजना मौजूदा शासन के सत्र के दौरान इस कानून को कानूनी ताकत देने का है. तीनों बिल आपराधिक कानून में खास बदलाव लाते हैं. बता दें कि एक बार ये कानून पारित हो जाने के बाद, सामूहिक हिंसा के आरोपियों को उम्रकैद की सजा दी जाएगी. उन्हें पहले सात साल जेल की सजा सुनाई गई थी, और आर्थिक सुरक्षा को ख़तरे में डालने वाली कार्रवाइया आतंकवादी गतिविधियों के दायरे में आती हैं. बता दें कि तस्करी या नकली धन का उत्पादन, घरेलू या विदेशी राज्य संपत्ति को नुकसान पहुंचाना या राज्य के दबाव के तहत अपहरण करना आतंकवाद के कार्य हैं.

कानूनों में मुख्य बदलाव

विधेयक के कानूनी जामा पहनने के बाद आईपीसी में 511 की जगह 356 धाराएं रह जाएंगी, और भारतीय न्याय संहिता लागू होने से 175 बदल जाएंगी .

भारतीय न्याय संहिता में 8 नई धाराएं भी जुड़ेंगी 22 धाराएं आई गई हैं, और ऐसे में सीआरपीसी में 533 धाराएं रह जाएंगी.

सीआरपीसी में 160 धाराएं बदलेंगी, 9 नई धाराएं जुड़ेंगी

सुनवाई के दौरान वीडियो कांफ्रेंस के द्वारा पूछताछ की अनुमति मिलेगी

ट्रायल कोर्ट को अधिकतम तीन साल के भीतर अनिवार्य रूप से देना होगा फैसला, इस समय 4.44 करोड़ मामले निचली अदालतों में लंबित हैं, और इनका निस्तारण तेजी से होगा.

आईपीसी, सीआरपीसी और एविडेंस एक्ट बदले जाएंगे, और राजद्रोह अपराध नहीं रहेगा.

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