छत्तीसगढ़ की राजधानी में महिला को पति की लाश ठेले पर ले जानी पड़ी. महिला को लाश ले जाने के लिए सरकारी निशुल्क वाहन की सुविधा नहीं मिल पाई. महिला के पास पैसे भी नहीं थे. वह पति का शव ठेले पर रखकर छह साल की बेटी के साथ सड़कों पर घूमती रही. उसके पास पैसे भी नहीं थे इसीलिए उसने राहगीरों से पैसे भी मांगे. इस घटना ने कालाहांडी के दाना मांझी की घटना को ताजा कर दिया है.
रायपुर. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है. यहां एक महिला को अपने पति का शव घर ले जाने के लिए अस्पताल से एंबुलेंस या कोई अन्य वाहन नहीं मिला. मजबूरी में महिला को अपने पति का शव ठेले पर ले जाना पड़ा. यह मामला प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल AIIMS में सामने आई है. AIIMS में महिला के पति की मौत हो गई थी जिसके बाद उसे बगैर एंबुलेंस उपलब्ध कराए ही शव सौंप दिया गया. महिला ठेले पर पति का शव लिए रायपुर की सड़कों पर घूमती रही. उसके पास घर पहुंचने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं होने की वजह से राहगीरों से भी मांगने पड़े.
दरअसल 30 वर्षीय संजय को फेफड़े में इन्फेक्शन होने के चलते 1 महीने पहले AIIMS रायपुर में भर्ती किया गया था, जहां गुरुवार सुबह उसकी मौत हो गयी. संजय की पत्नी के पास लाश ले जाने के लिए पर्याप्त पैसे नही थे और अस्पताल ने भी लापरवाही बरतते हुए शव वाहन उपलब्ध नही कराया. मजबूरी में मृतक की पत्नी अपनी 6 साल की बेटी के साथ पति की लाश ठेले पर लेकर ही रायपुर की सड़कों पर निकल गयी. इस दौरान अपने पति के अंतिम संस्कार के लिए महिला राहगीरों से पैसे भी मांगती रही.
ठेले पर लाश ले जाती महिला से पत्रकारों ने बात की तो उसने बताया कि उसने शव ले जाने के लिए मुक्तांजलि से संपर्क किया था. लेकिन वहां से शव वाहन नहीं मिला. उसके पास प्राइवेट वाहन करने के लिए पैसे नहीं थे. ऐसे में उसे शव ठेले पर ले जाना पड़ा. बता दें कि अस्पतालों से शव घर पहुंचाने के लिए सरकार निःशुल्क शव वाहन (मुक्तांजलि) सुविधा उपलब्ध कराती है लेकिन इसकी उपलब्धता से मांग ज्यादा है. टोल फ्री नंबर 1099 के जरिए उपलब्ध इस सेवा के लिए मात्र 60 वाहन हैं.
छत्तीसगढ़ में मानवता के इस तरह से शर्मशार होने का ये कोई पहला मामला नही है, इससे पहले भी कई बार समय पर एम्बुलेंस या शव वाहन उपलब्ध ना होने के चलते इस तरह की घटनाएं सामना आती रही हैं. पिछले साल पत्नी की लाश कंधे पर रखकर 12 किलोमीटर पैदल चलने वाले ओडिशा के कालाहांडी के रहने वाले दाना मांझी ने सबका ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया था. इसके बाद एक के बाद एक कई राज्यों से ऐसे मामले सामने आए.
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