नई दिल्लीः बीजेपी ने भले ही कांग्रेस को राजस्थान, मध्यप्रदेश और छतीसगढ़ में सत्ता से बेदखल कर दिया हो लेकिन उनके दिग्गज मंत्री नरोत्तम मिश्रा की हार के चर्चे चारों तरफ है। बीजेपी की लहर होने के बावजूद मिश्रा चुनावी नैया पार नहीं करा सके। हार के बाद वह शायर बन गये हैं। उन्होंने कहा […]
नई दिल्लीः बीजेपी ने भले ही कांग्रेस को राजस्थान, मध्यप्रदेश और छतीसगढ़ में सत्ता से बेदखल कर दिया हो लेकिन उनके दिग्गज मंत्री नरोत्तम मिश्रा की हार के चर्चे चारों तरफ है। बीजेपी की लहर होने के बावजूद मिश्रा चुनावी नैया पार नहीं करा सके। हार के बाद वह शायर बन गये हैं। उन्होंने कहा कि इतना भी गुमान न कर अपनी जीत पर ऐ बेखबर, तेरी जीत से ज्यादा चर्चे मेरी हार के हैं। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि मैं लौटकर वापस आऊंगा, ये आपसे मेरा वादा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी आलाकमान डॉ नरोत्तम मिश्रा के अनुभव का लाभ लेना चाहेगा । नरोत्तम मिश्रा की गिनती केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के करीबी नेताओं में होती है। भाजपा आलाकमान उन्हें केंद्रीय संगठन में राष्ट्रीय महासचिव जैसे पद दे सकता है या उप चुनाव लड़ा सकता है. मध्यप्रदेश भाजपा अध्यक्ष की कमान भी सौंप दी जाए तो बड़ी बात नहीं.
भाजपा अगर नरेंद्र सिंह तोमर को सीएम बनाती है तो फिर तोमर के विधायक पद छोड़ने की बात खत्म हो जाएगी। वहीं अगर तोमर विधायक पद से इस्तीफा देते हैं तो, नरोत्तम मिश्रा को उनकी जगह उपचुनाव लड़ाया जा सकता है। बता दें कि तोमर केंद्र में कृषि मंत्रालय जैसे अहम मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। तोमर की गिनती मोदी सरकार के बड़े मंत्रियों में होती है। 2024 का लोकसभा चुनाव भी करीब है। ऐसे में मुरैना जैसी लोकसभा सीट जीतना भी हर किसी नेता के लिए आसान नहीं होगा.