नई दिल्ली। गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत के बाद सभी राजनीतिक विशेषज्ञ अपनी-अपनी राय रखते हुए नज़र आ रहे हैं। बड़े चेहरों की कमी और भीड़ न जुटा पाना ही कांग्रेस की हार का अहम कारण माना जा रहा है। इस बात में कितना सत्य है और कितना असत्य यह जानना बेहद महत्वपूर्ण है। क्योंकि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को सिर्फ आलोचनाओं के घेरे में लेने से यह साबित नहीं कर सकते कि राहुल की भारत जोड़ो यात्रा ही गुजरात मे हार की जिम्मेदार है।
जहां एक ओर राहुल गांधी का भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त रहना और दूसरी ओर उनका गुजरात पहुंचकर पार्टी का प्रचार एवं प्रसार न करना कांग्रेस की हार का अहम कारण बताया जा रहा है। लेकिन क्या वाकई में राहुल का मौजूद न होना ही कांग्रेस की हार का कारण है, क्या राहुल गांधी ने हिमाचल प्रदेश के चुनावों में भरपूर समय दिया था। क्या उत्तर प्रदेश के चुनाव में अखिलेश यादव का पुरजोर प्रयास भी उन्हें हार के मुंहाने तक जाने से रोक सका यह प्रश्न लगातार सामने आते रहेंगे।
2014 बाद से चाहे लोकसभा चुनाव हो या फिर विधानसभा और निकाय चुनाव हों यह सभी चुनाव पीएम मोदी के नाम पर ही लड़े जा रहे हैं और जीत का सारा श्रेय पीएम मोदी को ही जाता है। इससे पहले 2017 के चुनाव में गुजरात का दौरा करते हुए राहुल गांधी ने अपना जनेयू तक दिखा दिया था। जिस दौरान राहुल गांधी सॉफ्ट हिंदुत्व की राजनीति से भी पीछे नहीं हटे तब भी उन्हे मात्र पाटीदारों के सहयोग के बाद ही गुजरात में 77 सीटों पर जीत प्राप्त हुई थी।
वहीं इस चुनाव में पाटीदारों का खिलाफ हो जाना और केजरीवाल की मौजूदगी ने बैकफुट पर ढकेल दिया बल्कि भाजपा के गढ़ रहे गुजरात मे मोदी फैक्टर तभी कम होगा जब तक समस्त देश से खत्म न हो जाए। –
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