नई दिल्ली. देश के बढ़ते एनपीए के बाद अब अर्थव्यवस्था को इंफ्रास्टक्चर फाइनेंस कंपनी से झटका लग सकता है. सरकारी क्षेत्र की स्वामित्व वाली कंपनी इंफ्रास्टक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज यानी आईएल एंड एफएस IL&FS डिफाल्टर होने जा रही है. अगर यह कंपनी डिफॉल्टर हुई तो पीएफ और पेंशल फंड के तौर पर जमा किए जाने वाले आपके 90 हजार करोड़ रुपये कचरा हो जाएंगे. यह सरकारी क्षेत्र की कंपनी लोन चुकाने में असफल हुई है जिसके बाद बताया जा रहा है कि अब इसका असर छोटी नॉन बैंकिंग फाइनेन्शल कंपनी पर भी पड़ सकता है. बताया जा रहा है कि रेग्युलेटर्स 1500 छोटे नॉन बैकिंग फाइनेन्शल कंपनियों के लाइसेंस रद्द कर सकती है.
जानकारों का मानना है कि इस सकंट में रेग्युलेटर्स छोटी नॉन फाइनेन्शल कंपनियों के लाइसेंस कर सकती है जिसकी वजह है कि वह पैसा चुकाने की स्थिति में नहीं है. साथ ही नॉन बैंकिंग फाइनेन्शल कंपनियों के लिए नए लाइसेंस मिलने में भी दिक्कते आएंगी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया नॉन फाइनेन्शल कंपनियों के लिए नियम कायदों को और कठिन कर सकता है.
बता दें आईएल एंड एफएस कंपनी सरकारी क्षेत्र की कंपनी है. जिसे नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी की श्रेणी में रखा जाता है यह कंपनी बैंकों से लोन लेती है जिसके अंदर कई कंपनियां निवेश करती है और लोग यहां शेयर खरीदते हैं. इस कंपनी के पीछे सरकार होती है इसीलिए इस कंपनी को विश्वसनीय माना जाता है. लेकिन बीते कई समय से आईएल एंड एफएस कंपनी लोन चुकाने में असमर्थ हुई है, मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अगर यह कंपनी डिफाल्ट हुई तो ये 900000 करोड़ कबाड़ हो जायेगा.
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