नई दिल्ली: उर्वरक का उत्पादन करने वाली दुनिया की सबसे बड़ी सहकारी संस्था भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड (IFFCO)ने आईसीएआर संस्थानों और कृषि विज्ञान केंद्रों (KVKs) के माध्यम से विभिन्न उत्पादों के सहयोगात्मक अनुसंधान, परीक्षण और सत्यापन के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के साथ एक एमओयू पर हस्ताक्षर किया है. इसके तहत इन केंद्रों को किसानों के लाभ के लिए जागरूकता कार्यक्रम, अभियान, क्षेत्र परीक्षण और प्रदर्शन के माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान करके तकनीकी प्रगति का प्रसार करने में ट्रेंनिंग देकर सक्षम किया जाएगा. इफको के इस कदम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य में मदद मिलेगी.
आईसीएआर परिसर में बुधवार को आयोजित कार्यक्रम के दौरान वैज्ञानिक वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से मौजूद थे. इस मौके पर डीडीजी आईसीएआर डॉ. एके सिंह, सचिव डीएआरई एंड डीजी आईसीएआर डॉ. टी. महापात्र, प्रबंध निदेशक इफको डॉ. यू एस अवस्थी आदि मौजूद रहे. इस दौरान डॉ. महापात्र ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक कदम है, हम उर्वरक की खपत को 15% तक कम कर सकते हैं, यह कृषि और किसान समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान होगा.
इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. यू एस अवस्थी ने कहा कि यह दोनों संगठनों के सर्वोत्तम दिमाग से योगदान के साथ-साथ प्रयोगशाला के माध्यम से प्रौद्योगिकी के प्रसार में मदद करेगा. इस सहयोग का उद्देश्य प्रौद्योगिकी के प्रभावी उपयोग द्वारा रासायनिक उर्वरक की खपत को कम करके किसानों की सेवा करना है. हम मिट्टी से रसायनों को बाहर निकालने के लिए काम कर रहे हैं। आईसीएआर इन उपक्रमों में सहायता और प्रोत्साहन देगा. उन्होंने आगे कहा कि समझौता ज्ञापन किसानों की समस्याओं को हल करने में मदद करेगा। यह 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लिए एक और सहयोगी कदम है.
इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने कृषि के क्षेत्र में शानदार उपलब्धियों के लिए आईसीएआर की प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि उद्योग के साथ शोध सहयोगात्मक होना चाहिए. इससे दोनों संगठनों के उन्नत मस्तिष्क मिलकर योगदान देंगे जिससे प्रयोगशालाओं के मध्य प्रौद्योगिकी के प्रसार में मदद मिलेगी. प्रौद्योगिकी के प्रभावी उपयोग से रासायनिक उर्वरक की खपत में कमी लाकर किसानों की सेवा करना ही इस पहल का उद्देश्य है. हम मिट्टी को रसायनमुक्त करने के लिए काम कर रहे हैं. रसायन मृदा को न केवल असंतुलित करते हैं बल्कि उसकी सेहत के लिए भी अनुपयुक्त होते हैं. इन उपक्रमों को आईसीएआर का समर्थन और प्रोत्साहन मिलेगा.
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