नई दिल्लीः दुनिया के सबसे बड़े उर्वरक सहकारिता संस्था इफको (IFFCO) ने वर्ष 2018 का श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान बिहार के वरिष्ठ कथाकार रामधारी सिंह दिवाकर को प्रदान किया है. रामधारी सिंह दिवाकर को यह सम्मान 31 जनवरी 2019 को नई दिल्ली स्थित एनसीयूआई ऑडिटोरियम में आयोजित एक समारोह में सुविख्यात साहित्यकार मृदुला गर्ग ने प्रदान किया. कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर श्रीमती जिलियन राइट मौजूद थीं.
अकादमिक और गैर-अकादमिक दुनिया में लगातार सक्रिय रहने वाले रामधारी सिंह दिवाकर की रचनाओं में ‘नए गांव में’, ‘अलग-अलग अपरिचय’, ‘बीच से टूटा हुआ’, ‘नया घर चढ़े’, ‘सरहद के पार’, ‘धरातल, माटी-पानी’, ‘मखान पोखर’, ‘वर्णाश्रम’, ‘झूठी कहानी का सच’ (कहानी-संग्रह) और ‘क्या घर क्या परदेस’, ‘काली सुबह का सूरज’, ‘पंचमी तत्पुरुष’, ‘दाखिल–खारिज’, ‘टूटते दायरे’, ‘अकाल संध्या’ (उपन्यास); ‘मरगंगा में दूब’ (आलोचना) प्रमुख हैं. दिवाकर को एक प्रतीक चिह्न, प्रशस्तिपत्र तथा ग्यारह लाख रुपये की राशि दी गई.
लेखक एवं पूर्व सांसद देवी प्रसाद त्रिपाठी की अध्यक्षता में गठित निर्णायक मंडल ने रामधारी सिंह दिवाकर का चयन खेती-किसानी वाले ग्रामीण यथार्थ पर केंद्रित उनके व्यापक साहित्यिक योगदान को ध्यान में रखकर किया है. निर्णायक मंडल के अन्य सदस्य मृदुला गर्ग, मुरली मनोहर प्रसाद सिंह, प्रो. राजेंद्र कुमार, इब्बार रब्बी और डॉ. दिनेश कुमार शुक्ल थे.
हर साल दिया जाने वाला यह प्रतिष्ठित पुरस्कार किसी ऐसे रचनाकार को दिया जाता है जिसकी रचनाओं में ग्रामीण और कृषि जीवन से जुड़ी समस्याओं, आकांक्षाओं और संघर्षों का जिक्र हो. मूर्धन्य कथाशिल्पी श्रीलाल शुक्ल की स्मृति में वर्ष 2011 में शुरू किया गया यह सम्मान अब तक विद्यासागर नौटियाल, शेखर जोशी, संजीव, मिथिलेश्वर, अष्टभुजा शुक्ल, कमलाकांत त्रिपाठी और रामदेव धुरंधर को दिया गया है.
इस मौके पर बोलते हुए इफको के प्रबंध निदेशक डॉ॰ उदय शंकर अवस्थी ने कहा कि रामधारी सिंह दिवाकर का रचना संसार ग्रामीण और किसानी जीवन के इर्द –गिर्द घूमता है. डॉ. अवस्थी ने रामधारी जी के चर्चित उपन्यास ‘दाखिल खारिज’ का जिक्र करते हुए उनके ठेठ देसी अंदाज की तारीफ की. कार्यक्रम की मुख्य अतिथि श्रीमती मृदुला गर्ग ने लेखक को सम्मानित करने पर खुशी जताते हुए कहा कि दिवाकर का लेखन अत्यंत महत्त्वपूर्ण है. किसानों के जीवन को मुखरित करने का काम जो रामधारी जी ने किया है, वह अन्य कहीं मिलना संभव नहीं है.
इस मौके पर अतिथि जिलियन राइट ने श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान के लिए रामधारी सिंह दिवाकर को बधाई देते हुए कहा कि रामधारी सिंह दिवाकर का कथा-साहित्य ग्रामीण जीवन के यथार्थ को समेटे हुए है. इस अवसर पर दास्तानगो महमूद फारूकी और दारैन शाहिदी द्वारा श्रीलाल शुक्ल जी के उपन्यास ‘राग दरबारी’ पर आधारित दास्तानगोई की मनोरम प्रस्तुति दिखी.
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