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सियासी फायदे के लिए मंदिर-मस्जिद करोगे तो… RSS के मुखपत्र ने दोहराई भागवत की बात

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मुखपत्र पांचजन्य ने अपने संपादकीय में मोहन भागवत के बयान का समर्थन किया है। इस दौरान पांचजन्य ने लिखा है कि भागवत के बयान पूरे देश में चल रही अनावश्यक बहस और भ्रामक प्रचार से लोगों को आगाह करने का काम किया है।

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Mohan Bhagwat-Shah and Modi
  • January 1, 2025 2:23 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 days ago

नागपुर/नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के मंदिर-मस्जिद को लेकर दिए गए बयान पर पूरे देश में चर्चा हो रही है। इस बीच आरएसएस के मुखपत्र पांचजन्य ने भागवत की बात दोहराते हुए अपने संपादकीय में बड़ी बात कही है।

बयान ने किया लोगों को आगाह

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मुखपत्र पांचजन्य ने अपने संपादकीय में मोहन भागवत के बयान का समर्थन किया है। इस दौरान पांचजन्य ने लिखा है कि भागवत के बयान पूरे देश में चल रही अनावश्यक बहस और भ्रामक प्रचार से लोगों को आगाह करने का काम किया है।

पांचजन्य ने और क्या कहा…

इसके साथ ही पांचजन्य ने अपने संपादकीय में आगे कहा है कि मंदिर हिंदुओं के विश्वास का केंद्र होता है। हम मंदिर का इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए हरगिज नहीं होने देंगे।

पांचजन्य ने कहा कि आज के वक्त में मंदिर और मस्जिद को लेकर गैर-जरूरी बहस हो रही है। बहुत सारे भ्रम फैलाए जा रहे हैं जो कि काफी चिंता का विषय है। आरएसएस के मुखपत्र ने कहा कि सोशल मीडिया ने मंदिर-मस्जिद की अनावश्यक बहस को और ज्यादा बढ़ाने का काम किया है।

मोहन भागवत ने ये कहा था

बता दें कि इससे पहले भागवत ने पुणे में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था कि देश में हर दिन नया विवाद उठाया जा रहा है। इसे कैसे स्वीकार किया जा सकता है? इसकी अनुमति कैसी दी जा सकती है? उन्होंने कहा कि अभी हाल के दिनों में कई सारे मंदिरों का पता लगाने के लिए मस्जिदों के सर्वेक्षण की मांग उठी है, मामला अदालतों तक पहुंचा है। इसे बिल्कुल भी स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

कट्टरपंथियों को भी खूब सुनाया

इसके साथ ही संघ प्रमुख ने अपने संबोधन में कट्टरपंथियों को भी खूब सुनाया। उन्होंने कहा कि बाहर से आए हुए कुछ समूह अपने साथ यहां पर कट्टरता लाए हैं। अब वो सोचते हैं कि कट्टरता के जरिए वो अपना पुराना शासन वापस ले आएंगे। लेकिन ऐसा कभी नहीं होगा। हमारा देश संविधान से चलता है और आगे भी संविधान से ही चलेगा।

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