नई दिल्ली। राज्यसभा सांसद कार्तिकेय शर्मा दिव्य प्रेम सेवा मिशन के एक कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कार्यक्रम में आमंत्रित करने के लिए आयोजकों का धन्यवाद किया। राज्यसभा सांसद ने कहा कि मुझे इस कार्यक्रम में आमंत्रित करने के लिए मैं दिव्य प्रेम सेवा मिशन को तहे दिल से धन्यवाद देता हूं और आभार प्रकट करता हूं। मैं अपनी बात को आचार्य चाणक्य के एक कोट से शुरू करूंगा।
“मैदान में हारा हुआ फिर से जीत सकता है
परंतु मन से हारा हुआ कभी नहीं जीत सकता,
आपका आत्मविश्वास ही आपकी सर्वश्रेष्ठ पूंजी है।”
ये उक्ति है आचार्य चाणक्य की, जो एक ऐसी महान विभूति थे, जिन्होंने अपने आत्मविश्वास, बुद्धिमता और राजनीतिक इच्छा शक्ति के बल पर भारतीय इतिहास को बदल दिया, इतनी सदियां बीतने के बावजूद भी चाणक्य द्वारा बताए गए सिद्धांत आज भी न केवल प्रासंगिक बने हुए हैं बल्कि बेहतर जीवन जीने के लिए महत्वपूर्ण भी हैं। जो भी उनके बताए सिद्धांतों और नीतियों का अनुसरण करता है वह व्यक्ति कभी जिंदगी के मुश्किल वक्त में हारता नही है।
कार्तिकेय शर्मा ने कहा कि आचार्य चाणक्य का मुख्य उद्देश्य भारत को एक मजबूत, सक्षम और समृद्ध महान राष्ट्र बनाना था, जो हम साफ साफ देख सकते है कि उनकी नीतियों का पालन करके ही महान सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य और मौर्य वंश का उदय हुआ जिन्होंने विश्व के एक बड़े भाग को जीतने में सफलता हासिल की, आचार्य चाणक्य ने कहा था कि एक कुशल नेता को हमेशा धैर्य बना कर रखना चाहिए, अपनी योजना को केवल चुनिंदा लोगों के साथ ही साझा करें, जब तक कार्य पूरा न हो जाए तब तक सावधानी बरतें, अपने साथियों से सलाह लेकर कठिन परिस्थितियों से बाहर निकला जा सकता है।
राज्यसभा सांसद ने बताया कि चाणक्य ने ये भी कहा है कि प्रत्येक व्यक्ति को एक्शन तभी लेना चाहिए जब परिस्थितियां उसके हाथ में हों। आज यदि हम चाणक्य की उपरोक्त नीतियों और सिद्धांतो का पालन करते हैं तो निश्चित रूप से अपने जीवन को खुशहाल, सकारात्मक और सफल बना सकते हैं। आचार्य चाणक्य ने कहा कि व्यक्ति को दूसरों की गलतियों से सीखना चाहिए और सफलता हासिल करने के लिए दूसरों के अनुभवों को जानना चाहिए। आज प्रतिस्पर्धा के दौर में जब व्यक्ति किसी से बात नहीं करना चाहता, सब कुछ खुद करके देखना चाहता है ऐसी स्थिति में आचार्य चाणक्य की ये बात हमें सीखने की जरूरत है।
कार्तिकेय शर्मा ने आगे कहा कि आचार्य चाणक्य ने कहा है कि बुद्धि से पैसा कमाया जा सकता है, पंरतु पैसे से बुद्धि नही हासिल की जा सकती। इसलिए प्रत्येक इंसान को अपनी बुद्धि के विकास के लिए प्रयास करना चाहिए। उन्होंने हमें सिखाया कि कैसे एक कोयल हमें जीवन का अमूल्य ज्ञान देती है। चूंकि कोयल तब तक मौन रहती है जब तक कि उसके कंठ से मधुर स्वर नही निकलते, इसलिए जब भी बोलें, मधुर बोलें। कड़वा बोलने से बेहतर है कि मौन रहें। अंत में आप सभी से यही अपील करूँगा कि हम सभी आचार्य चाणक्य की नीति पर चलते हुए राष्ट्र धर्म का पालन करें और एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर राष्ट्र के प्रति अपने दायित्वों का निर्वहन करे ताकि हमारा भारत अमृत काल में एक बार फिर से दुनिया का सिरमौर बन सके।
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