चंडीगढ़/नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के पड़ोसी राज्य हरियाणा में विधानसभा के चुनाव चल रहे हैं. पिछले 10 सालों से राज्य की सत्ता से बाहर कांग्रेस इस बार सरकार बनाने की पूरी कोशिश में है. पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा को खुली छूट देकर कांग्रेस हरियाणा की सत्ता में आने के सपने देखने रही है. लेकिन […]
चंडीगढ़/नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के पड़ोसी राज्य हरियाणा में विधानसभा के चुनाव चल रहे हैं. पिछले 10 सालों से राज्य की सत्ता से बाहर कांग्रेस इस बार सरकार बनाने की पूरी कोशिश में है. पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा को खुली छूट देकर कांग्रेस हरियाणा की सत्ता में आने के सपने देखने रही है. लेकिन उसका यह सपना आसानी से पूरा होगा, इसकी संभावना ज्यादा दिख नहीं रही है. राज्य में कांग्रेस के अंदर जारी गुटबाजी उसके लिए बीच चुनाव में बड़ी मुसीबत बन गई है.
हरियाणा में कांग्रेस के अंदर जिस एक मुद्दे को लेकर गुटबाजी और टकराव देखने को मिल रहा है वह है मुख्यमंत्री के चेहरे का मुद्दा. दरअसल, हरियाणा कांग्रेस की दिग्गज दलित नेता कुमारी शैलजा चाहती है कि पार्टी उन्हें सीएम चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट करे. भूपेंद्र हुड्डा को पहले भी दो बार सीएम की कुर्सी मिल चुकी है. ऐसे में अब उन्हें मौका मिलना चाहिए. लेकिन वहीं हुड्डा गुट इसे मानने को तैयार नहीं है. 77 साल के हो चले भूपेंद्र हुड्डा खुद को मुख्यमंत्री की रेस से हटाने को तैयार नहीं है.
हुड्डा गुट लगातार राज्य कांग्रेस के भीतर हावी होने की कोशिश कर रहा है. सियासी चर्चाओं की मानें तो टिकट वितरण में भी ज्यादा भूपेंद्र हुड्डा की ही चली है. जिसे देखते हुए अब कुमारी शैलजा वोटिंग से ठीक पहले अपने घर पर बैठ गई हैं. वह चुनाव प्रचार में पूरी तरह से नदारद दिख रही हैं. मालूम हो कि राज्य की 17 विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व हैं. इन सभी सीटों पर शैलजा का अच्छा-खासा प्रभाव है. ऐसे में अगर शैलजा चुनावी प्रचार से दूर रहीं तो कांग्रेस को इसका बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है.
बता दें कि कांग्रेस नेतृत्व को जिस परेशानी का सामना हरियाणा में करना पड़ रहा है. वहीं परेशानी उसके सामने महाराष्ट्र में भी है. हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के बाद महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनाव होंगे. वहां पर भी सीएम चेहरे को लेकर महा विकास अघाड़ी गठबंधन में तकरार छिड़ी हुई है. एक ओर शिवसेना (यूबीटी) की मांग है कि उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया जाए. वहीं, कांग्रेस और शरद पवार वाली एनसीपी उद्धव गुट की इस मांग को मानने को तैयार नहीं है. इस बीच राज्य कांग्रेस के पूर्व प्रमुख बाला साहेब थोराट ने खुद भी सीएम की कुर्सी पर दावेदारी ठोक दी है. अगर यहां पर ऐसे ही सीएम के चेहरे को लेकर विवाद छिड़ा रहा तो इससे बीजेपी को चुनावी फायदा मिल सकता है.
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