नई दिल्ली: सोमवार को आए भूकंप के तेज झटकों से तुर्की और सीरिया की धरती दहल उठी। जिसके बाद वहाँ सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी। शहर के शहर और घर के घर तबाह हो गए। आलम इतना भयावह था कि लोग मलबे के नीचे दब गए। तुर्की में रिक्टर पैमाने पर 7.8 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया। सीरिया में भी भूकंप के भयानक मंजर देखने को मिले हैं। इन भयानक भूकंपों और पिछले कुछ वर्षों में हुई त्रासदी पर नजर डालें तो इससे पहले इंडोनेशिया में 10 जनवरी 2023 को 7.7, ताइवान में 18 सितंबर 2022 को 7.2, जापान में 13 फरवरी को 7.1 और जमैका में 7.7 29 जनवरी को। , 2020. एक भूकंप आया जिसने बड़ी तादाद में लोगों की जान ले ली।
सोचिए अगर भारत में इतना तेज भूकंप आया तो क्या होगा? 5 तीव्रता के भूकंप के बाद ही यहाँ दहशत फैल जाती है हर तरफ चीख-पुकार मच जाती है। दरअसल, भारत एक ऐसा देश है जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विविधता के लिए जाना जाता है, लेकिन यह भूकंप और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से भी ग्रस्त है। हाल के वर्षों में, देश के क्षेत्र ने भी कई भूकंपों का अनुभव किया है। घनी आबादी के कारण यहाँ आपदाओं का बड़ा खतरा बना रहता है।
भूकंप कभी भी और कहीं भी आ सकता है। इसकी कोई गारंटी नहीं है। यह एक तरह की प्राकृतिक आपदा है। हाल ही में, 24 जनवरी, 2023 को देश की राजधानी दिल्ली और उसके आसपास 5.3 तीव्रता का भूकंप आया। इसका केंद्र नेपाल के गोत्री-तट के आसपास था। इस भूकंप से नेपाल में काफी नुकसान हुआ था। जाहिर है ऐसे में रिक्टर स्केल पर 7 तीव्रता का भूकंप हिमालयी क्षेत्र में एक बड़ी घटना मानी जाती है। इससे पूरे क्षेत्र में भारी नुकसान होने की आशंका है।
तुर्की हो, जापान हो या इंडोनेशिया, यहाँ आने वाले बड़े और विनाशकारी भूकंपों ने देशवासियों को भयभीत कर दिया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें, भारतीय शहरों के निर्माण और लेआउट के प्रकार, इमारतों के निर्माण और उनके बुनियादी ढांचे को ध्यान में रखते हुए, यहाँ 7 तीव्रता का भूकंप विनाशकारी साबित हो सकता है। अनगिनत जानें जा सकती हैं, हजारों प्रभावित हो सकते हैं। राजधानी दिल्ली जैसे शहरों में ज्यादा खतरा है। भूकंप से होने वाले नुकसान का असर अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है। इससे विस्थापन की समस्या बढ़ जाती है।
भारत में भूकंप के प्रभाव को कम करने के लिए उन उपायों को अमल में लाना जरूरी है, जिन पर वैज्ञानिकों ने भरोसा जताया है। ऐसे उपायों को अपनाकर भूकंपीय दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है। सरकार द्वारा अनिवार्य भूकंपरोधी उपायों के अलावा, आपको बिल्डिंग कोड का पालन करना चाहिए। इसके अलावा लोगों को भूकंप के खतरों के बारे में भी शिक्षित किया जाना चाहिए।
हालांकि भूकंप एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है, जिसकी सटीक भविष्यवाणी तो नहीं की जा सकती, लेकिन आप सतर्क जरूर रह सकते हैं। महत्वपूर्ण उपायों के साथ चेतावनियों का पालन करके खतरे से बचा जा सकता है। जिन शहरों को भूवैज्ञानिकों ने हाई रिस्क एरिया घोषित किया है, वहां आवासीय निर्माण में विशेष सावधानी सुरक्षा की दृष्टि से अहम कदम है।
भूकंपों को मापने और उनके खतरे के अंदाज़ा करने वाले पैमाने को रिक्टर स्केल कहा जाता है। भूकंपीय तरंगों की तीव्रता से पता चलता है कि भूकंप कितना ख़तरनाक था और इसका केंद्र कहाँ था। इसकी खोज अमेरिकी वैज्ञानिक चार्ल्स एफ रिक्टर ने की थी, लिहाज़ा उनके नाम पर इस यंत्र को रिक्टर स्केल का नाम दिया गया। इससे तरंगों की बुनियाद पर भूकंप की तीव्रता और ख़तरे का पता लगाया जाता है।
जब 3 से 3.9 की तीव्रता वाला भूकंप आता है तो व्यक्ति झटके को अच्छी तरह महसूस कर सकता है। छत के पंखे भी हिलने लगते हैं। दरवाजों और खिड़कियों पर लगे पर्दे भी हिल जाते हैं। घर में अगर कोई पालतू जानवर है तो वह अजीब सी हरकतें करने लगता है। लेकिन ऐसे भूकंप से दीवारें नहीं हिलतीं।
आपको बता दें,4 से 4.9 की तीव्रता वाला भूकंप आने पर खिड़की के शीशे टूट सकते हैं। मेज के किनारे रखा गिलास फर्श पर गिर सकता है। छत के पंखे जल्दी हिलते हैं, लेकिन इतने भूकंप से भी घर की दीवारों को कोई नुकसान नहीं होता है।
5-6 की तीव्रता वाला भूकंप कच्चे घर को नुकसान पहुँचा सकता है। अगर दीवारें कमजोर हों तो दरारें आ सकती हैं। भूकंप के बाद अपने घरों की जाँच करनी चाहिए।
6-7 तीव्रता
जब भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 6 से अधिक होती है तो यह सबसे खतरनाक केटेगरी में आता है। इससे दीवारों में दरार पड़ने की संभावना बढ़ जाती है।यदि घर भूकंप रोधी नहीं है तो इस प्रकार के भूकंप में दूसरी या तीसरी मंजिल बुरी तरह से ख़राब हो सकती है।
भूवैज्ञानिकों की नजर में जब भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 7 से ज़्यादा होती है तो वह विनाशकारी हो जाता है। मज़बूत से मज़बूत घरों के लिए इतना तेज़ भूकंप खतरनाक साबित होता है। 7-8 तीव्रता का भूकंप शर्तिया तौर पर नाशलीला लेकर आएगा।
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