ICICI Terminates Chanda Kochhar Videocon Loan Case: वीडियोकॉन केस में चंदा कोचर को आईसीआईसीआई बैंक ने निकाला, लौटाना होगा 350 करोड़ !

ICICI Terminates Chanda Kochhar Videocon Loan Case: वीडियोकॉन लोन केस में जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा की जांच रिपोर्ट पर आईसीआईसीआई बैंक के बोर्ड ने पूर्व एमडी और सीईओ चंदा कोचर को बैंक से पिछली तारीख से निकालने का फैसला किया है. बैंक के बोर्ड ने पहले कोचर को क्लीन चिट दी थी लेकिन अब उसने अपने पहले का फैसला पलटकर कहा है कि चंदा कोचर का इस्तीफा नहीं माना जाएगा बल्कि उन्हें कंपनी से निकाला माना जाएगा. बोर्ड ने 2009 से चंदा कोचर को मिले शेयर और बोनस भी वापस लेने का फैसला किया है जिसकी वजह से चंदा कोचर को बैंक को अनुमानित तौर पर 350 करोड़ रुपए लौटाने पड़ सकते हैं. चंदा कोचर ने बोर्ड के फैसले पर दुख जताया है और कहा है कि बैंक सामूहिक फैसले से लोन देता है इसलिए इसे उनका एकतरफा फैसला मानकर एक्शन लेना गलत है.

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ICICI Terminates Chanda Kochhar Videocon Loan Case: वीडियोकॉन केस में चंदा कोचर को आईसीआईसीआई बैंक ने निकाला, लौटाना होगा 350 करोड़ !

Aanchal Pandey

  • January 31, 2019 7:57 am Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकॉन लोन केस में विवाद में फंसने के बाद अक्टूबर, 2018 में एमडी और सीईओ के पद से इस्तीफा दे चुकीं चंदा कोचर को पिछली तारीख से टर्मिनेट करने का फैसला किया है. बैंक के बोर्ड ने पहले कोचर को इस मामले में क्लीन चिट दी थी लेकिन जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा की जांच रिपोर्ट में चंदा कोचर को बैंक की आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी माना गया जिसे बोर्ड ने भी मानकर चंदा कोचर के बैंक से अलग होने को इस्तीफा के बदले बर्खास्त मानने का फैसला किया है. बैंक के बोर्ड ने 2009 से चंदा कोचर को मिले बोनस और शेयर भी वापस लेने का फैसला किया है जिसकी वजह से अनुमान है कि चंदा कोचर को बैंक को 350 करोड़ रुपए लौटाने पड़ सकते हैं.

आईसीआईसीआई बैंक के बोर्ड ने कहा है कि चंदा कोचर का इस्तीफा नहीं माना जाएगा बल्कि माना जाएगा कि उन्हें कंपनी से निकाला गया है और उनके बोनस समेत सभी तरह की पेमेंट रोक दी जाएगी. आईसीआईसीआई बैंक ने बयान में कहा, ‘चंदा कोचर आईसीआईसीआई बैंक आचार संहिता का उल्लंघन कर रही थी. निदेशक मंडल ने बैंक की आंतरिक नीतियों के तहत चंदा कोचर को बैंक से टर्मिनेशन फॉर कॉज के तहत निकालने का फैसला किया है.’

  1. जांच रिपोर्ट रिटायर्ड जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा ने दी. रिपोर्ट में कहा गया कि वार्षिक खुलासे में चंदा कोचर की ओर से आचार संहिता का उल्लंघन था.
  2. जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा की रिपोर्ट के आधार पर आईसीआईसीआई बैंक बोर्ड ने चंदा कोचर के इस्तीफे को बैंक की आंतरिक नीतियों के तहत ‘टर्मिनेशन फॉर कॉज’ के रूप में माना है.
  3. चंदा कोचर ने फैसले पर कहा, ‘मैं बैंक के फैसले से बेहद निराश और हैरान हूं. मुझे इस रिपोर्ट की कोई कॉपी भी नहीं दी गई. मैं पहले भी कह चुकी हूं कर्ज देने का कोई भी फैसला एकतरफा नहीं है. आईसीआईसीआई ऐसी संस्था है जिसमें ठोस प्रक्रिया और प्रणाली के जरिए लोन सामूहिक फैसले से दिए जाते हैं. लोन तय करने में कई दक्ष पेशेवर शामिल होते हैं. संस्थान की बनावट ऐसी है कि हितों के टकराव की संभावना है ही नहीं.’
  4. चंदा कोचर ने कहा, ‘मैंने पिछले 34 साल में कठिन मेहनत और समर्पण के साथ आईसीआईसीआई की सेवा की है. बैंक के हित में कड़े फैसले लेने में मैं कभी नहीं हिचकी. बैंक के इस फैसले ने दुख दिया है. मैंने ईमानदारी और गरिमा के साथ अपना करियर शुरू किया. मुझे अपने पेशे में पूर्ण विश्वास है और भरोसा है कि एक न एक दिन सच की जीत होगी.’
  5. बता दें कि चंदा कोचर पर आरोप हैं कि उन्होंने बतौर आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ अपने पद का गलत फायदा उठाया. उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने पति दीपक कोचर के बिजनेस पार्टनर वेणुगोपाल धूत की वीडियोकॉन को बैंक से 3250 करोड़ रुपए कर्ज दिए और इस कर्ज का 86 प्रतिशत लगभग 2810 करोड़ रुपये 2017 में बैंक ने एनपीए घोषित कर दिया. इसके बाद वीडियोकॉन इस कर्ज को नहीं चुका पाई जिस कारण उसे बैंक ने डिफॉल्टर घोषित कर दिया.

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