IAF 17 Squadron Resurrection for Rafale: करगिल में जीत दिलाने वाले 17 स्कवाड्रन को एक्टिव करेगा इंडियन एयरफोर्स, राफेल विमानों की संभालेंगे कमान

IAF 17 Squadron Resurrection for Rafale, Bhartiya Air force Rafale Udane ke Liye dobara layega 17 Squadron: करगिल को पराक्रम करने वाले 17 स्क्वाड्रन को एक बार फिर एक्टिव किया जाएगा. भारतीय एयर फोर्स एक बार फिर स्कवाड्रन को एक्टिव करने के लिए तैयार है. आईएएफ चीफ बी एस धनोआ मंगलवार को एक इवेंट में 17 स्क्वाड्रन को फिर से एक्टिव करेंगे. ये आने वाले नए राफेल विमान के स्वागत के लिए है. स्कवाड्रन राफेल विमान उड़ाने के लिए तैयार किया जा रहा है.

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IAF 17 Squadron Resurrection for Rafale: करगिल में जीत दिलाने वाले 17 स्कवाड्रन को एक्टिव करेगा इंडियन एयरफोर्स, राफेल विमानों की संभालेंगे कमान

Aanchal Pandey

  • September 10, 2019 8:36 am Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

अंबाला. भारतीय वायु सेना को मंगलवार को यानि आज अपने गोल्डन एरो के 17 स्क्वाड्रन को फिर से जीवित करेगा. ये बहु-भूमिका वाले राफेल लड़ाकू जेट को उड़ाने वाली पहली इकाई होगी. आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि भारतीय वायु सेना प्रमुख बी एस धनोआ मंगलवार को अंबाला एयर फोर्स स्टेशन में एक कार्यक्रम में 17 स्क्वाड्रन को फिर से एक्टिव करेंगे.

गोल्डन एरो के 17 स्क्वाड्रन की 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान एयर चीफ मार्शल धनोआ द्वारा कमान सौंपी गई थी. भटिंडा एयर बेस से संचालित स्क्वाड्रन को 2016 में रूसी मूल के मिग 21 जेट विमानों से धीरे-धीरे बाहर निकलने के बाद भंग कर दिया गया था. स्क्वाड्रन का गठन 1951 में किया गया था और शुरू में इसने डे हैविलैंड वैम्पायर एफ एमके 52 सेनानियों को उड़ाया. दरअसल भारत को इस महीने के अंत तक पहला राफेल जेट प्राप्त होने की उम्मीद है.

भारतीय वायुसेना ने लड़ाकू विमान का स्वागत करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे और पायलटों के प्रशिक्षण सहित तैयारी पूरी कर ली है. सूत्रों ने कहा कि वायुसेना का पहला स्क्वाड्रन भारतीय वायुसेना के सबसे रणनीतिक ठिकानों में से एक माने जाने वाले अंबाला वायुसेना स्टेशन पर तैनात किया जाएगा. भारत-पाक सीमा वहां से लगभग 220 किलोमीटर दूर है. राफेल का दूसरा स्क्वाड्रन पश्चिम बंगाल में हासिमारा बेस पर तैनात किया जाएगा. भारत ने सितंबर 2016 में फ्रांस के साथ लगभग 58,000 करोड़ रुपये की लागत से 36 राफेल फाइटर जेट्स की खरीद के लिए एक अंतर-सरकारी समझौता किया था.

राफेल के निर्माता डसॉल्ट एविएशन की मदद के लिए भारतीय वायुसेना की कई टीमें पहले ही फ्रांस का दौरा कर चुकी हैं, जिसमें लड़ाकू विमान में भारत-विशिष्ट संवर्द्धन शामिल है. राफेल जेट विभिन्न भारत-विशिष्ट संशोधनों के साथ आएंगे, जिनमें इज़राइली हेलमेट-माउंटेड डिस्प्ले, रडार चेतावनी रिसीवर, कम बैंड जैमर, 10 घंटे की उड़ान डेटा रिकॉर्डिंग, इन्फ्रा-रेड सर्च और ट्रैकिंग सिस्टम शामिल हैं.

कांग्रेस ने विमान की दरों और कथित भ्रष्टाचार सहित इस सौदे के बारे में कई सवाल उठाए, लेकिन सरकार ने आरोपों को खारिज कर दिया. आईएएफ ने दो ठिकानों पर आश्रयों, हैंगर और रखरखाव सुविधाओं जैसी आवश्यक अवसंरचना विकसित करने के लिए लगभग 400 करोड़ रुपये खर्च किए.

जुलाई 2017 में, एयर चीफ मार्शल बी एस धनोआ ने फ्रांस की अपनी यात्रा के दौरान, विमान का पहला अनुभव प्राप्त करने के लिए सेंट-डिजियर एयरबेस में एक राफेल जेट को उड़ाया. इस सौदे के अनुसार, जिस अनुबंध को अनुबंधित किया गया था, उससे 67 महीने में जेट की डिलीवरी पूरी होनी थी.

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