मैं गुस्से में आकर गाली… आर्टिकल 370 को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बिफरे उमर अब्दुल्ला

श्रीनगर/नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाए जाने का केंद्र सरकार का फैसला अब बना रहेगा. सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने सोमवार (11 दिसंबर) को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि हम जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 को निरस्त करने के लिए राष्ट्रपति द्वारा जारी हुए आदेश को वैध मानते हैं. आर्टिकल-370 का प्रावधान […]

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मैं गुस्से में आकर गाली… आर्टिकल 370 को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बिफरे उमर अब्दुल्ला

Vaibhav Mishra

  • December 12, 2023 10:55 am Asia/KolkataIST, Updated 11 months ago

श्रीनगर/नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाए जाने का केंद्र सरकार का फैसला अब बना रहेगा. सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने सोमवार (11 दिसंबर) को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि हम जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 को निरस्त करने के लिए राष्ट्रपति द्वारा जारी हुए आदेश को वैध मानते हैं. आर्टिकल-370 का प्रावधान अस्थायी था. इस बीच सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नेताओं की प्रतिक्रिया आनी जारी है. जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम और नेशनल कॉनफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने भी सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर प्रतिक्रिया दी है.

उमर अब्दुल्ला ने क्या कहा?

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है. इस वीडियो में अब्दुल्ला खुद को घर में नजरबंद बता रहे हैं. इस दौरान मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता कहते हैं कि मैं प्रतिक्रिया नहीं दूंगा, मैं घर में नजरबंद… मुझे अभी बहुत गुस्सा आ रहा है मैं कैमरे के सामने गाली नहीं देना चाहता हूं.

सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला दिया

इससे पहले सोमवार को आर्टिकल-370 पर फैसला सुनाए जाने के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाए जाने का केंद्र सरकार का फैसला संविधान के दायरे में था. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल उठाना उचित नहीं है. जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. वहां से आर्टिकल-370 को हटाए जाने का फैसला सही था. राष्ट्रपति के पास 370 पर फैसला लेने का अधिकार है. चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि अगर केंद्र सरकार के फैसले से किसी भी तरह की मुश्किल खड़ी हो रही हो, तब ही उसके चुनौती दी जा सकती है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि आर्टिकल 356 लागू होने के बाद केंद्र सिर्फ संसद के द्वारा कानून नहीं बना सकता है, ऐसा कहना उचित नहीं होगा.

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