मुख्यमंत्री बनने की मेरी महत्वाकांक्षा नहीं, भविष्य में भी शिवसेना का CM चाहता हूं- उद्धव ठाकरे

मुंबई। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने आज मीडिया से बात करते हुए बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि मेरी महत्वाकांक्षा मुख्यमंत्री बनने की नहीं थी. मैं भविष्य में भी शिवसेना का ही सीएम चाहता हूं. मैंने बाला साहेब ठाकरे से ये वादा किया था. इसके साथ ही उद्धव […]

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मुख्यमंत्री बनने की मेरी महत्वाकांक्षा नहीं, भविष्य में भी शिवसेना का CM चाहता हूं- उद्धव ठाकरे

Vaibhav Mishra

  • July 10, 2023 2:05 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

मुंबई। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने आज मीडिया से बात करते हुए बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि मेरी महत्वाकांक्षा मुख्यमंत्री बनने की नहीं थी. मैं भविष्य में भी शिवसेना का ही सीएम चाहता हूं. मैंने बाला साहेब ठाकरे से ये वादा किया था. इसके साथ ही उद्धव ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों का टूटना कोई नई बात नहीं है. लेकिन अब पार्टियां चोरी हो रही हैं. चुनाव आयोग के पास हमारी पार्टी का नाम और निशान किसी और देने का बिल्कुल अधिकार नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा उद्धव गुट

इससे पहले आज उद्धव गुट ने शिवसेना के नाम और निशान को लेकर फिर से सुप्रीम कोर्ट में दरवाजा खटखटाया. उद्धव खेमे द्वारा दाखिल की गई याचिका में सुप्रीम कोर्ट से चुनाव आयोग के फैसलों को रद्द करने की मांग की गई है. उद्धव ठाकरे गुट का कहना है कि विधायक दल में हुई टूट को चुनाव आयोग ने पार्टी की टूट कहा है जो गलत है. चुनाव आयोग का शिंदे गुट को शिवसेना पार्टी और उसका चुनाव चिन्ह सौंपने का फैसला कई सारी कानूनी गलतियों से भरा हुआ है. आयोग ने सिंबल ऑर्डर के पैराग्राफ 15 के तहत मिली हुई शक्ति का गलत इस्तेमाल किया है.

2018 में संविधान बदला था

उद्धव ठाकरे गुट द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में आगे कहा गया है कि साल 2018 में शिवसेना पार्टी का संविधान को बदला गया था, जिसके तहत पार्टी प्रमुख को काफी शक्तियां प्रदान की गई थीं. लेकिन चुनाव आयोग ने इसे मानने से इनकार कर दिया और कहा कि उसे आधिकारिक तौर पर संविधान में बदलाव की जानकारी नहीं मिली थी.

शिंदे गुट को मिला है चिन्ह

बता दें कि, पिछले साल एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बड़ी संख्या में विधायकों और सांसदों ने शिवसेना से बगावत कर दी थी. इसके बाद महाविकास अघाड़ी सरकार का नेतृत्व कर रहे उद्धव ठाकरे को अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ी थी. बीजेपी के साथ सरकार बनाने के बाद एकनाथ शिंदे ने शिवसेना पर कब्जे को लेकर दावा किया. इसके बाद 17 फरवरी को चुनाव आयोग ने दोनों गुटों को काफी विस्तार से सुनने के बाद शिवसेना का चुनाव चिन्ह धनुष-बाण और पार्टी का नाम एकनाथ शिंदे गुट को दे दिया था.

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