देश का बहुसंख्यक यह नहीं कह सकता कि अल्पसंख्यकों को महत्व नहीं दिया जाना चाहिए. ऐसा करने से लोकतंत्र को ही नुकसान होगा. इसके बाद की कहानी 1955 की है. 19 मार्च को संसद की कार्यवाही के दौरान राज्यसभा में संविधान के चौथे संशोधन से जुड़े बिल पर चर्चा हो रही थी. बाबा साहब ने कहा कि मेरे दोस्त अक्सर मुझसे कहते हैं कि संविधान मैंने बनाया है. मैं आपको बताना चाहता हूं कि इसे जलाने वाला भी मैं ही बनूंगा. ये किसी के लिए भी अच्छा नहीं है.
नई दिल्ली: डॉ. भीमराव अंबेडकर का आज यानी 6 दिसंबर को महापरिनिर्वाण दिवस है. आजादी के बाद उन्होंने भारत के संविधान के निर्माण में अहम भूमिका निभाई. वह संविधान की ड्राफ्टिंग कमिटी के अध्यक्ष थे. हमारे संविधान का निर्माण 1946 में ही शुरू हो गया था. संविधान 26 नवंबर 1949 को तैयार हुआ और 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू किया गया. संविधान लागू होने के बाद भारत एक गणतंत्र कहलाया. उन्होंने एक बार संसद में कहा था, वह संविधान जला देंगे. आइए आगे जानते हैं कि उन्होंने ऐसा क्यों कहा।
आपको बता दें कि जब राज्यसभा में बहस चल रही थी. बाबा साहब संविधान में संशोधन कर राज्यपाल की शक्तियाँ बढ़ाने पर अड़े थे. वह अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए दृढ़ थे. बाबा साहेब ने कहा था कि अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को हमेशा डर रहता है कि बहुसंख्यक लोग उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं. उन्होंने आगे कहा, मेरे दोस्त अक्सर मुझसे कहते हैं कि इसे मैंने बनाया है, मैं आपको बताना चाहता हूं कि इसे जलाने वाला भी मैं ही बनूंगा. ये किसी के लिए भी अच्छा नहीं है.
देश का बहुसंख्यक यह नहीं कह सकता कि अल्पसंख्यकों को महत्व नहीं दिया जाना चाहिए. ऐसा करने से लोकतंत्र को ही नुकसान होगा. इसके बाद की कहानी 1955 की है. 19 मार्च को संसद की कार्यवाही के दौरान राज्यसभा में संविधान के चौथे संशोधन से जुड़े बिल पर चर्चा हो रही थी. तब कार्यवाही में हिस्सा लेने आए बाबा साहब से पंजाब के सांसद अनूप सिंह ने पूछा कि उन्होंने 1953 में क्यों कहा था कि संविधान जला देंगे.
उन्होंने कहा कि मैंने संविधान जलाने के बारे में सोचा था. हम मंदिर इसलिए बनाते हैं ताकि भगवान उनमें आ सकें और रह सकें. यदि राक्षस आकर भगवान के सामने रहने लगें तो मंदिर को नष्ट करने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा. कोई यह सोचकर मंदिर नहीं बनाता कि उसमें राक्षस रहने लगेंगे. हर कोई चाहता है कि मंदिर में देवताओं का वास हो। इसीलिए उन्होंने संविधान जलाने की बात कही.
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