Bengaluru Suitcase Murder: बेंगलुरु जिसे भारत की आईटी राजधानी कहा जाता है. वहां गुरुवार, 27 मार्च 2025 को एक दिल दहला देने वाली घटना ने सबको हिलाकर रख दिया. हुलीमावु इलाके में एक सूटकेस में 32 वर्षीय गौरी खेडेकर का शव मिला. जिसकी हत्या उसके पति राजेंद्र खेडेकर ने की थी. पुलिस जांच में यह सनसनीखेज खुलासा हुआ कि गौरी को जिंदा हालत में ही सूटकेस में बंद कर दिया गया था. यह वारदात महज गुस्से का नतीजा नहीं बल्कि एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा थी.

झगड़े से शुरू हुई खूनी कहानी

पुलिस के अनुसार, यह भयावह घटना एक मामूली विवाद से शुरू हुई. गौरी उस वक्त किचन में सब्जी काट रही थी. जब पति-पत्नी के बीच बहस छिड़ गई. गुस्से में आकर गौरी ने चाकू राजेंद्र की ओर फेंक दिया. जिसे उसने चकमा दे दिया. इसके बाद राजेंद्र ने उसी चाकू से गौरी पर ताबड़तोड़ हमले किए. गौरी गंभीर रूप से घायल हो गई लेकिन अभी जिंदा थी. फिर भी क्रूरता की हद पार करते हुए राजेंद्र ने उसे एक बड़े सूटकेस में ठूंस दिया. सूटकेस में बलगम के निशान मिले जो बताते हैं कि गौरी ने जिंदा रहते हुए बचने की कोशिश की थी पर नाकाम रही.

शव को ठिकाने लगाने की नाकाम कोशिश

राजेंद्र का इरादा शव को घर से बाहर ले जाकर गायब करने का था. उसने सूटकेस को उठाया लेकिन गौरी के वजन के कारण हैंडल टूट गया. योजना फेल होने पर उसने शव को किचन में गटर के पास छोड़ दिया ताकि खून बहकर नाले में चला जाए. इसके बाद उसने घर पर ताला लगाया और अपनी कार से पुणे के लिए निकल पड़ा. पुलिस का मानना है कि यह सब सोची-समझी साजिश का हिस्सा था न कि आवेश में लिया गया फैसला.

साले को फोन कर कबूला गुनाह

पुणे पहुंचने के बाद राजेंद्र ने गौरी के भाई को फोन किया और कहा, ‘तेरी बहन की लाश सूटकेस में है.’ इस कॉल के बाद गौरी के भाई ने तुरंत महाराष्ट्र पुलिस को सूचना दी. जिसने बेंगलुरु पुलिस से संपर्क किया. पुलिस ने हुलीमावु स्थित घर का दरवाजा तोड़ा और बाथरूम में रखे सूटकेस से गौरी का शव बरामद किया. इसके बाद राजेंद्र की लोकेशन ट्रेस की गई. पुणे में उसने फिनायल पीकर आत्महत्या की कोशिश की. लेकिन राहगीरों ने उसे अस्पताल पहुंचा दिया. अब वह खतरे से बाहर है और हिरासत में है.

ममेरे भाई से प्यार और शादी का दुखद अंत

पुलिस ने बताया कि राजेंद्र और गौरी ममेरे भाई-बहन थे. मुंबई में साथ रहते हुए दोनों को प्यार हो गया. चार साल तक लिव-इन में रहने के बाद दो साल पहले दोनों ने शादी कर ली लेकिन परिवारों की नाराजगी के चलते वे बेंगलुरु में किराए के मकान में रहने लगे. राजेंद्र एक आईटी कंपनी में वर्क फ्रॉम होम कर रहा था. जबकि गौरी नौकरी की तलाश में थी. इस रिश्ते का अंत इतना दर्दनाक होगा यह किसी ने नहीं सोचा था.

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