September 20, 2024
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महिलाएं इस तरह बनती हैं नागा साधु जीते जी करती है खुद का पिंडदान और ये भयानक काम!

  • WRITTEN BY: Anjali Singh
  • LAST UPDATED : September 6, 2024, 9:37 pm IST

नई दिल्ली: नागा साधुओं के बारे में तो हम सभी ने सुना है और उन्हें देखा भी है, लेकिन महिला नागा साधु का सामना शायद ही किसी ने किया हो। ऐसा इसलिए क्योंकि महिला नागा साधु बहुत कम लोगों के सामने आती हैं और ज्यादातर महाकुंभ जैसे बड़े धार्मिक आयोजनों में ही दिखाई देती हैं। आखिर महिलाओं के लिए नागा साधु बनना इतना कठिन क्यों है? इस लेख में हम जानेंगे कि महिलाएं नागा साधु कैसे बनती हैं और उनके जीवन से जुड़े कुछ रोचक पहलुओं के बारे में।Naga Sadhu: महिला नागा साधु कैसे बनती हैं, क्या ये भी पुरुष नागा साधुओं की  तरह निरवस्त्र रहती हैं?

महिला नागा साधु बनने की कठिन प्रक्रिया

महिला नागा साधु बनना एक बहुत ही कठिन और लंबी प्रक्रिया है। सबसे पहले, महिलाओं को 6 से 12 साल तक ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। इस दौरान उन्हें अखाड़े के नियमों का पालन करना पड़ता है। जब ये अवधि पूरी हो जाती है, तब जाकर उन्हें नागा साधु बनने की अनुमति मिलती है। नागा साधु होना सिर्फ एक साधारण साधु बनने से कहीं ज्यादा है। यह एक पदवी है, जो केवल उन्हीं को मिलती है जो वैष्णव, शैव या उदासीन अखाड़ों से जुड़े होते हैं।

जानिए महिलाएं कैसे बनती है नागा साधु

महिला नागा साधुओं के कपड़े और आचरण

जहां पुरुष नागा साधु अक्सर नग्न रहते हैं, वहीं महिला नागा साधुओं के लिए ऐसा कोई नियम नहीं है। उन्हें हमेशा गेरुआ वस्त्र धारण करना पड़ता है, जो सिले हुए नहीं होते। इस वस्त्र को वे पूरे शरीर पर लपेटती हैं। उनके माथे पर तिलक और शरीर पर भस्म (राख) लगी होती है, जो उनके आध्यात्मिक जीवन का प्रतीक है।

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संबंध और सांसारिकता से मुक्ति

महिला नागा साधु बनने के लिए, महिलाओं को अपने सभी सांसारिक संबंधों को त्यागना होता है। अखाड़े के महामंडलेश्वर उनके संन्यास की प्रक्रिया को पूरा करते हैं। इसके बाद, वे गेरुआ वस्त्र पहनकर, सिर मुंडवाकर, और अपना पिंडदान खुद जीते जी करवाकर नए जीवन की शुरुआत करती हैं। पिंडदान आमतौर पर मरने के बाद किया जाता है, लेकिन महिला नागा साधुओं के लिए इसे उनके नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है।

महिला नागा साधुओं का निवास

पुरुष नागा साधु अक्सर लोगों के बीच आ जाते हैं, लेकिन महिला नागा साधु पहाड़ों, जंगलों और गुफाओं में रहकर साधना करती हैं। ये स्थान उन्हें ध्यान और साधना के लिए उपयुक्त होते हैं। हालांकि, महाकुंभ जैसे आयोजनों में महिला नागा साधुओं को संगम में डुबकी लगाते हुए देखा जा सकता है। अगला महाकुंभ 2025 में प्रयागराज में आयोजित होगा, जहां महिला नागा साधुओं के दर्शन किए जा सकते हैं।

 

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