नई दिल्ली: अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण तेजी से पूरा किया जा रहा है। इस बीच एक अच्छी खबर सामने आई है कि भव्य मंदिर के गर्भगृह में स्थापित की जानी वाली भगवान श्रीराम की प्रतिमा शालिग्राम पत्थर से बनाई जाएगी । इस पवित्र पत्थर की खोज अब पूरी हो गई है। शालिग्राम पत्थरों को विशेष रूप से नेपाल के पोखरा स्थित नारायणी नदी (गंडकी) से निकाला गया है. जानकारी के अनुसार नदी से शिलाओं को निकालने के बाद धार्मिक अनुष्ठान हुआ और नदी से क्षमा याचना भी की गई।
जिओलॉजिकल और आर्केलॉजिकल वैज्ञानिकों की देखरेख में 26 जनवरी को 26 टन और 14 टन के दो पत्थरों को 2 ट्रकों पर लोड किया गया था। दोनों शिलाओं के साथ सौ से अधिक कार्यकर्ताओं का जत्था भी साथ चल रहा है. रास्ते में जगह-जगह इन ट्रकों को रोककर श्रद्धालुओं को शिलाओं के दर्शन भी कराए जा रहे हैं. नेपाल में जिन-जिन रास्तों से ये पत्थर गुजर रहे हैं श्रद्धालुओं की भारी भीड़ वहां जमा हो रही है। हर कोई इन पत्थरों को छूना चाहता है और अपने आराध्य को नमन करना चाहता है.
2 फरवरी तक यह पत्थर अयोध्या की कार्यशाला तक पहुंच जाएंगे। शिलाओं के अयोध्या पहुंचने के बाद श्रीराम मंदिर ट्रस्ट अपना काम प्रारंभ करेगा। शालिग्राम पत्थर से बनने वाले श्रीराम लला और माता सीता की प्रतिमा को अगले साल मकर संक्रांति तक तैयार कर लिया जाएगा। वैज्ञानिकों की माने तो शालिग्राम पत्थर बेहद मजबूत होता है। जो शालिग्राम शिलाएं नेपाल से भारत लाई जा रही हैं वो करोड़ों वर्ष पुरानी हैं।
ऐसा होगा प्रभु श्रीराम का स्वरुप
श्री राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने मीडिया को बताया कि, “मंदिर में वो भगवान तो रहेंगे जो वहां पहले से हैं लेकिन एक दूसरी स्थापना होगी, जिसकी आवश्यकता ये हो, आंखे सम्मुख हों, उनके पदचिन्ह सम्मुख हों, जिनके चरणों तक आप अपनी आस्था पहुंचा सकें और लगभग ये प्रतिमा ढाई से 3 फीट तक होगी।
हिन्दू धर्म में शालिग्राम पत्थर का विशेष महत्व है। शालिग्राम पत्थर भगवान विष्णु के स्वरूप मानें जाते हैं और कई हिन्दू घरों में इनकी प्रतिदिन विशेष पूजा की जाती है। श्रद्धालुओं के लिए ये केवल पत्थर ही नहीं बल्कि भगवान श्रीराम ही हैं। कहा जाता है कि जिस घर में शालिग्राम भगवान होते हैं और नियमित रूप से उनकी पूजा की जाती है, वहां सदैव माता लक्ष्मी का वास होता है। साथ ही उस घर से सभी प्रकार के संकट दूर रहते हैं। हिन्दू धर्म में त्रिदेव अर्थात ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश की पूजा अनेक प्रकार से की जाती है। जैसे ब्रह्मा जी की पूजा शंख के रूप में और भगवान शिव की उपासना शिवलिंग के रूप में की जाती है, ठीक उसी प्रकार भगवान विष्णु की उपासना भगवान शालिग्राम के रूप में की जाती है।
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