अब बवाल हो रहा है तो गुजरात के होम विभाग ने डीसीपी आरजे पार्घी की अगुवाई में एक जांच कमेटी बैठा दी है कि आखिर इतना बड़ा सिक्योरिटी लैप्स हुआ कैसे और डीसीपी के निशाने पर है तोगडिया का सबसे बड़ा राजदार धीरूभाई कपूरिया जो उनके रजनीकांत एक्ट में उनके साथ था.उसी की तलाश जारी है.
अहमदाबाद. आप किसी भी थाने में जाइए, पुलिस आधे घंटे में आपकी बात भी सुन ले तो आप इस कहानी को सच मान लीजिए. लेकिन राजस्थान पुलिस तोगडिया का अरेस्ट वारंट लेकर आई थी, जाहिर है ऐसे में कोई भी थाने का इंचार्ज इतने बडे नेता और जेड सिक्योरिटी प्राप्त वीवीआईपी के खिलाफ खुद तो फैसला ले नहीं सकता. वैसे भी जब मामला अंतर्राज्यीय पुलिस के आपसी सहयोग का होता है, तो राज्य की डीजीपी ऑफिस को इत्तला करने के बाद कम से कम रेंज के आईजी और जिसे के एसपी की जानकारी के बिना ये एक्शन नामुमकिन था.
यानी साफ है कि कहानी पहले ही पकाई जा चुकी थी, दोनों राज्यों की पुलिस के आला अधिकारियों को इस बात की जानकारी थी कि राजस्थान की पुलिस टीम आने वाली है और तभी गुजरात की टीम को पहले से तैयार रखा गया था. वरना केवल आधे घंटे में अरेस्ट वारंट भी चैक हो गया, दूसरे राज्य की पुलिस टीम के आई कार्ड भी चैक हो गए और पुलिस टीम भी तैयार हो गई और इतने ही वक्त में वो सोमवार के दिन सबसे व्यस्त ऑफिस टाइम में तोगड़िया के घर पहुंच भी गए. ये नामुमकिन जैसा है.. और जब दो राज्यों के आला पुलिस अधिकारी आपस में ये केस डिसकस कर रहे होंगे तो ये मुमकिन ही नहीं था कि वो सत्ता पक्ष से इतने करीबी से जुड़े एक जेड प्लस प्रोटेक्टी को बिना राजनैतिक नेतृत्व को बताए खुद फैसला ले लेते, हो सकता है राजनैतिक इशारे पर ही हुआ हो, जैसा कि खुद तोगड़िया ने पीसी मे आरोप लगाए हैं.
ऐसे में जब तोगडिया को इस बात की जानकारी मिली होगी कि पुलिस टीमें उनके दरवाजे पर पहुंच चुकी हैं, तो चौंकना लाजिमी था। हालांकि उन्होंने बाबा रामदेव की तरह घबराकर अचानक वहां से भागने का प्लान बना लिया, तैयार होने और बाहर निकलने में उनको 15 मिनट लगे। ठीक 10.45 बजे वो अपने एक सहयोगी के साथ वहां ले निकले, वीएचपी कार्यालय पर अक्सर दिखने वाले इस सहयोगी का नाम था धीरूभाई कपूरिया। केवल यही व्यक्ति जानता है कि तोगडिया के दिमाग में क्या चल रहा था और वो कहां कहां गए और कैसे वापस हॉस्पिटल पहुंचे। हालांकि तोगडिया ने बताया है कि वो अकेले निकल गए थे.
दोनों जब बाहर निकले तो स्टेट रिजर्व पुलिस के विक्रम सिंह को केवल इतना कहा कि अभी आधे घंटे में आते हैं और दोनों ऑटो में बैठकर निकल गए. साथ ही तोगडिया ने अपना फोन ऑफ कर लिया. इससे ऐसा लगता है कि ये आम होगा कि तोगडिया अपने जेड प्लस एस्कोर्ट को कभी भी कहीं भी बुलाते होंगे, कभी भी आस पास बिना सिक्योरिटी के निकल जाते होंगे, आम तौर पर विधायक और सांसदों की सिक्योरिटी के मामले में ऐसा होता रहता है लेकिन जेड प्लस वाले भी ऐसा ही करते हैं, तो ये वाकई खतरनाक है. हाल ही में राजनाथ सिंह ने भी संसद में राहुल गांधी पर आरोप लगाया था कि वो 2 साल में 72 दिन बिना एसपीजी के विदेश में गुजार चुके हैं.अब चूंकि बवाल हो रहा है तो गुजरात के होम विभाग ने डीसीपी आरजे पार्घी की अगुवाई में एक जांच कमेटी बैठा दी है कि आखिर इतना बड़ा सिक्योरिटी लैप्स हुआ कैसे और डीसीपी के निशाने पर है तोगडिया का सबसे बड़ा राजदार धीरूभाई कपूरिया जो उनके रजनीकांत एक्ट में उनके साथ था। उसी की तलाश जारी है.