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सोनिया गांधी ने दुनिया से लड़कर मनमोहन सिंह को बनाया था PM

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपनी आखिरी सांस 26 दिसंबर 2023 को ली, आइए उनकी राजनीतिक करियर के बारे में कुछ अहम जानकारी जानते हैं।

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Manmohan Singh
  • December 26, 2024 10:57 pm Asia/KolkataIST, Updated 15 hours ago

नई दिल्ली: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपनी आखिरी सांस 26 दिसंबर 2024 को ली। उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को गति देने में अहम भूमिका निभाई। डॉ. मनमोहन सिंह शांत और सरल स्वभाव के थे जिसकी वजह से राजनीतिक विरोधी भी उनका सम्मान करते थे। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के समय भारतीय योजना आयोग के प्रमुख के रूप में 1985 से 1987 तक कार्य किया। इसके साथ ही, वह 1982 से 1985 तक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर भी रहे, जहां उन्होंने बैंकिंग क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण सुधार किए, जिन्हें आज भी याद किया जाता है। शायद यही वजह थी कि सोनिया गांधी ने भारत की डोर संभालने की जिम्मेदारी मनमोहन सिंह को दी।

लालू यादव ने किया था विरोध

2004 में, जब कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की, तो सोनिया गांधी ने डॉ. मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदवार के रूप में चुना। हालांकि, उस समय राजद प्रमुख लालू यादव ने इस फैसले का विरोध किया। उनका मानना था कि मनमोहन सिंह एक गैर-राजनीतिक व्यक्ति थे और उन्हें प्रधानमंत्री बनने के लिए राजनीतिक अनुभव की आवश्यकता थी। इसके अलावा, लालू यादव का यह भी विचार था कि कांग्रेस के अंदर एक मजबूत नेता होना चाहिए जो पार्टी और सरकार का नेतृत्व कर सके और उन्हें लगा कि यह काम सोनिया गांधी को करना चाहिए था। लेकिन सोनिया गांधी के समझाने से अंत में लालू यादव मान गए और डॉ. मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाने के लिए राजी हो गए।

सोनिया नहीं बनीं पीएम, मनमोहन की निकली लॉटरी

2004 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सोनिया गांधी के विदेशी मूल की वजह से प्रधानमंत्री बनने का विरोध किया था. सोनिया गांधी इटली से थीं और बीजेपी तथा उसके समर्थकों का मानना था कि एक विदेशी नागरिक को भारत का प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहिए. बीजेपी ने इस मुद्दे को अपनी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा बनाया और इसके माध्यम से अपने समर्थकों में राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा दिया। पार्टी के नेताओं ने उनके पारिवारिक राजनीतिक इतिहास को भी सवालिया बनाया।

पीएम बनने के बाद मनमोहन…

मनमोहन सिंह ने अपने 10 वर्षों के कार्यकाल (2004 से 2014) के दौरान भारत के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक स्तर पर सशक्त करने के लिए आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाया। वित्तीय क्षेत्र में सुधार, विदेशी निवेश (FDI) को प्रोत्साहित करने और मूलभूत ढांचे के विकास पर जोर दिया। इसके अलावा, उन्होंने मांग-आधारित विकास रणनीतियों को लागू किया, जिससे देश में रोजगार के नए अवसर पैदा हुए।

मनमोहन सिंह ने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (NREGA) और राइट टू एजुकेशन (RTE) जैसी योजनाओं को लागू कर समाज के गरीब वर्ग के लिए कल्याणकारी कदम उठाए। इसके साथ ही, उन्होंने महिला सशक्तिकरण और स्वास्थ्य सेवाओं को भी प्राथमिकता दी। उनकी नीतियों से भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी आई और वह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन गया।

आर्थिक सुधारों में अहम रोल

आर्थिक सुधारों के क्षेत्र में डॉ. मनमोहन सिंह का योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण था। 1991 में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण से जुड़े कई फैसले किए, जिनसे देश की अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा मिली। इसके साथ ही, उन्हें कई प्रमुख सम्मान मिले, जिनमें 1987 में पद्म विभूषण, 1993 में एशिया मनी अवार्ड, 1995 में जवाहरलाल नेहरू बर्थ सेंटेनरी अवॉर्ड सहित अन्य कई पुरस्कार शामिल हैं। उन्हें कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालयों से मानद उपाधियां भी प्राप्त हुई हैं।

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