Human Body Temperature: अप्रैल के महीने में ही ज्यादातर शहरों का तापमान 40 डिग्री से अधिक पहुंच गया है। कई राज्यों में भयंकर लू चलने लगी है। गर्म हवाएं हमारे शरीर पर प्रतिकूल असर डालती है, जिसके कारण डिहाइड्रेशन और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है। यूनिवर्सिटी ऑफ ओटावा ह्यूमन एंड एनवायर्नमेंटल फिजियोलॉजी रिसर्च यूनिट (HEPRU) के एक हालिया अध्ययन में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक अगर तापमान 37 डिग्री से अधिक हो जाता है तो हमारे शरीर में समस्याएं होने लगती हैं। आइए आज इससे जुड़ी बातों को जानते हैं-
हमारा शरीर 37 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को झेल सकता है। अगर तापमान इससे ज़्यादा हो जाए तो यह शरीर के लिए ख़तरनाक हो सकता है। जब तापमान 37-38 डिग्री पर जाता है तो हमारे शरीर में कई बदलाव शुरू हो जाते हैं। वहीं जब तापमान 40 डिग्री से अधिक हो तो यह बहुत प्रभावी हो जाता है और हमारे शरीर को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। 45 डिग्री या इससे ऊपर तापमान जाने पर हमें कमजोरी महसूस होने लगती है। इसके साथ ही चक्कर आना या वोमेटिंग की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
अगर कोई आपसे कहे की गर्मी के दिनों में पसीने आना हमारे लिए जरूरी है तो यह सुनकर आपको थोड़ा अजीब जरूर लगेगा।लेकिन जब वातावरण का तापमान बढ़ता है, तो पसीना शरीर को ठंडा करने में मदद करता है। जब पसीना वाष्पित होता है, तो यह गर्मी को सोख लेता है, जिससे आपका शरीर ठंडा हो जाता है।
नमी का मतलब है कि हवा में पहले से ही पानी मौजूद होना है, यह पसीने को ठीक से सूखने से रोकता है। अगर पसीना न सुखाया जाए, तो शरीर का तापमान कम नहीं होगा और उसका पसीना निकालने वाला तंत्र काम नहीं करेगा। इसे वेट बल्ब तापमान कहते हैं।
डब्लूएचओ के अनुसार, हीटवेव तब मानी जाती है जब किसी स्थान का अधिकतम तापमान मैदानी क्षेत्रों के लिए कम से कम 40°C या उससे अधिक तथा पहाड़ी क्षेत्रों के लिए कम से कम 30°C या उससे अधिक हो।