नई दिल्ली: हैती में आए भूकंप के मलबे से 15 दिन बाद 16 साल की एक लड़की को जिंदा बचाया गया। पूरी दुनिया में भूकंप के बाद ऐसे मामले सामने आते हैं, जब कई दिनों के बाद लोगों को मलबे से जिंदा निकाला जाता है….जब बचने की सारी उम्मीद खत्म मानी जाती है। तुर्की और […]
नई दिल्ली: हैती में आए भूकंप के मलबे से 15 दिन बाद 16 साल की एक लड़की को जिंदा बचाया गया। पूरी दुनिया में भूकंप के बाद ऐसे मामले सामने आते हैं, जब कई दिनों के बाद लोगों को मलबे से जिंदा निकाला जाता है….जब बचने की सारी उम्मीद खत्म मानी जाती है। तुर्की और सीरिया में आए भूकंप को 05 दिन से ज्यादा बीत चुके हैं। 20,000 से अधिक लोगों के मारे जाने की खबर है।
ऐसे बड़ा सवाल यह है कि भूकंप के बाद आप कब तक मलबे में जिंदा रह सकते हैं? तुर्की और सीरिया में, माना जाता है कि हजारों लोग अभी भी मलबे के नीचे दबे हुए हैं क्योंकि दुनिया भर से बचाव दल उन्हें बचाने के लिए हाथ-पाँव मार रहे हैं। ये टीमें दिन-रात काम करती हैं। हालाँकि समय बीतने के साथ-साथ मलबे में दबे लोगों के जिंदा होने की संभावना भी कम हो जाती है।
आखिर कब तक मलबे में फँसे लोगों के जिंदा होने की उम्मीद में सर्च ऑपरेशन चलाया जाता है। सामान्य तौर पर, यह माना जाता है कि कोई व्यक्ति लगभग एक सप्ताह तक मलबे में जीवित रह सकता है। हालाँकि ज़िंदा बचने के और भी कई कारण होते हैं। आइए आपको बताते हैं:
– किन हालात में मलबे में फँसे हैं?
– चोट कितनी लगी है?
– मौसम कैसा है?
– जहाँ ये मलबे में फंसे हैं, वहां कितनी ऑक्सीजन पहुंच रही है?
– खुद की इच्छाशक्ति कितनी है?
लेकिन ये बात भी सच है कि जितनी जल्दी मलबे को हटाकर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा सकेगा, बचे लोगों की तादाद भी बढ़ सकती है।
जानकारों का मानना है कि मलबे से जिन लोगों को जिंदा निकाला गया है उनमें से ज्यादातर भूकंप के 24 घंटे के अंदर के हैं। उसके बाद रोज जिंदा लोगों से मिलने की संभावना कम होने लगती है। इसका मुख्य वजह चोट लगना है। मलबे में गिरने से लोगों को गंभीर चोटें आती हैं, कई बार कंक्रीट की छत, दीवारों और अन्य चीजों पर ईंटें इस तरह गिर जाती हैं कि चोट बहुत गंभीर हो जाती है। अगर चोट और खून ज़्यादा तो इंसान की मौत हो जाती है।
आपको बता दें, भूकंप के मलबे के बीच यह भी बहुत महत्वपूर्ण है कि हवा और पानी का मिलना भी जीवन और मौत के बीच के अंतर को तय करती है। यदि उन्हें गहराई में दबा दिया जाए और हवा उपलब्ध न हो तो दम घुटने से जीवन जान चली जाती है। कई बार पानी न मिलने से भी प्यास से इंसान की मौत हो जाती है।
• आमतौर पर भूकंप के मलबे में दबे हुए लोगों को जिंदा निकालने का काम एक हफ्ते के बाद बंद हो जाता है।
• भूकंप आने के बाद का पहला घंटा सबसे अहम होता है, अगर आपको अभी मदद मिल जाए तो बड़ी संख्या में लोगों की जान बच सकती है।
• हैती में 27 दिन बाद भी एक युवक भूकंप के मलबे में जिंदा मिला है।