November 14, 2024
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सरकार के बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, सिर्फ आरोपी होने पर नहीं गिरा सकते घर

सरकार के बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, सिर्फ आरोपी होने पर नहीं गिरा सकते घर

  • WRITTEN BY: Neha Singh
  • LAST UPDATED : November 13, 2024, 2:17 pm IST
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नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने ‘बुलडोजर एक्शन’ पर बड़ा फैसला सुनाया। देश की शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर कार्यपालिका किसी व्यक्ति का घर सिर्फ इस आधार पर गिराती है कि वह आरोपी है, तो यह कानून के शासन का उल्लंघन है। फैसला सुनाते हुए जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि ‘घर होना एक ऐसी चाहत है जो कभी खत्म नहीं होती… हर परिवार का सपना होता है कि उसका अपना घर हो…’ उन्होंने कहा कि ‘महिलाओं और बच्चों को बेघर होते देखना सुखद दृश्य नहीं है।’ सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा घरों/दुकानों और अन्य निजी संपत्तियों को गिराने से संबंधित नियम तय किए।

कार्यपालिका नहीं बन सकती न्यायपालिका

न्यायालय ने सख्त लहजे में कहा कि कार्यपालिका न्यायपालिका की जगह नहीं ले सकती। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘न्यायपालिका को न्यायिक कार्य सौंपे गए हैं। कार्यपालिका अपने मूल कार्य को करने में न्यायपालिका की जगह नहीं ले सकती। राज्य और उसके अधिकारी मनमाने और अत्यधिक सख्त कदम नहीं उठा सकते। जब राज्य द्वारा मनमानी के कारण आरोपी के अधिकारों का हनन होता है… तो उसकी भरपाई होनी चाहिए।’ जस्टिस गवई ने कहा कि ‘सरकारी अधिकारी जो कानून को अपने हाथ में लेते हैं और इस तरह की क्रूरता करते हैं, उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।’

‘बुलडोजर जस्टिस’ पर SC फैसले के प्रमुख बिंदु

  1. अगर कोई व्यक्ति दोषी है, तो भी उसकी संपत्ति को नष्ट नहीं किया जा सकता।
  2. बिना उचित प्रक्रिया के आरोपी के घर को गिराना असंवैधानिक है।
  3. आरोपी को मुकदमे से पहले सजा नहीं दी जा सकती।
  4. नगरपालिका कानूनों के लिए भी कानून का अनुपालन अनिवार्य है।
  5. लोगों को ध्वस्तीकरण नोटिस का जवाब देने और उसे चुनौती देने के लिए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए।
  6. अगर अधिकारी कुछ समय पहले उनकी मदद करें, तो आसमान नहीं गिर जाएगा।
  7. केवल आरोपों के आधार पर घर नहीं गिरा सकते।

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