लखनऊ. उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में अस्पताल प्रशासन के लचर रवैये के कारण दिव्यांग बेटे और उसकी बहन को अपने पिता की लाश ठेले पर लादकर घर ले जानी पड़ी. दोनों बहन भाई अपने पिता की लाश को ठेले पर लादकर ले जाने के लिए इस कारण मजबूर हुए क्यों कि अस्पताल प्रशासन ने उन्हें वैन या एंबुलेंस उपलब्ध कराने से मना कर दिया था. अस्पताल से कोई सहायता नहीं मिलने के कारण भाई बहन को अपने पिता की लाश बाराबंकी के त्रिवेदीगंज कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर से अपने घर तक करीब 8 किलोमीटर रिक्शे से ही ले जानी पड़ी.
इस मामले पर चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. आर. चंद्रा ने कहा कि पूरे जिले में सिर्फ दो वैन उपलब्ध हैं. पूरे जिले में सिर्फ दो शव वाहन का इस्तेमाल किया जाता है. इनकी सुविधा सीएचसी पर उपलब्ध नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि शव को एंबुलेंस में नहीं ले जाया जा सकता. अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के कारण पिता के शव को ठेले में ले जा रहे बच्चों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गई हैं.
हालांकि, परिजनों द्वारा शव को ठेले पर ले जाने का यह पहला मामला नहीं है. कई राज्यों से अकसर इस तरह की घटनाएं सामने आती रहती हैं. इससे पहले छ्त्तीसगढ़ में एक महिला अपने पति के शव को ठेले पर घर ले जाकर चर्चाओं में आई थी. महिला की आर्थिक हालत यह थी कि उसे पति के अंतिम संस्कार के लिए लोगों से रास्ते में भीख भी मांगनी पड़ी. इसके अलावा इस तरह के बहुत सारे मामले सामने आते रहे हैं.
फिरोजाबाद : एक बार फिर पोस्टमार्टम के लिए रिक्शे पर उठा इंसानियत का जनाजा
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