नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बताया है कि सरकार एक पालिसी लेकर आएगी जिससे विदेश में जेंडर चेंज कराने वाले लोगों को पुष्टिकरण प्रक्रियाओं से गुजरने में कठिनाइयों का सामना ना करना पड़े। नई नीति आने के बाद यह लोग अपने जेंडर और नाम में परिवर्तन दर्ज करते हुए नया पासपोर्ट […]
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बताया है कि सरकार एक पालिसी लेकर आएगी जिससे विदेश में जेंडर चेंज कराने वाले लोगों को पुष्टिकरण प्रक्रियाओं से गुजरने में कठिनाइयों का सामना ना करना पड़े। नई नीति आने के बाद यह लोग अपने जेंडर और नाम में परिवर्तन दर्ज करते हुए नया पासपोर्ट बनवा पाएंगे।
एक हलफनामे में गृह मंत्रालय ने कहा कि उसके पास पहले से ही पासपोर्ट धारकों का बायोमेट्रिक डेटा है। मंत्रालय ने इमीग्रेशन की देखरेख करने वाले उप सचिव की तरफ से हस्ताक्षरित 4 अक्टूबर के दस्तावेज में कहा कि चूंकि ऐसी चिकित्सा प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद बायोमेट्रिक्स में बदलाव होना संभव नहीं है, इसलिए विदेश मंत्रालय द्वारा एक नीति विकसित की जा सकती है क्योंकि नया पासपोर्ट जारी करने से पहले उनकी पहचान सत्यापित करने के लिए बायोमेट्रिक रिकॉर्ड (भारतीय नागरिकों के) क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय के पास उपलब्ध हैं।
बता दें कि एक ट्रांसजेंडर महिला अनाहिता चौधरी ने अदालत में याचिका डालकर मांग की थी कि अधिकारी नए नाम और लिंग सहित संशोधित विवरण के साथ उसे पासपोर्ट दोवारा जारी करें। इसके जवाब में गृह मंत्रालय ने कोर्ट में दस्तावेज पेश किए। साल 2016 से 2022 के बीच अनाहिता चौधरी ने परिवर्तन कराया था जिसके बाद वो कोर्ट के आदेश के जरिए कानूनी तौर पर नाम और लिंग परिवर्तन कराने में सक्षम हो गई लेकिन जब जेंडर चेंज के बाद नए पासपोर्ट के लिए आवदेन किया तो उसके लिए 6 महीने का समय लग गया।