नई दिल्ली: पूर्व आईएएस अधिकारी हर्ष मंदर के खिलाफ अब CBI जांच होने जा रही है जिसके आदेश केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिए हैं. बता दें, पूर्व IAS पर विदेशों से चन्दा लेने के दौरान एफसीआरए कानून का उल्लंघन करने का आरोप है. बता दें, मंदर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के करीबी बताए जाते है. […]
नई दिल्ली: पूर्व आईएएस अधिकारी हर्ष मंदर के खिलाफ अब CBI जांच होने जा रही है जिसके आदेश केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिए हैं. बता दें, पूर्व IAS पर विदेशों से चन्दा लेने के दौरान एफसीआरए कानून का उल्लंघन करने का आरोप है. बता दें, मंदर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के करीबी बताए जाते है. वे सलाहकार परिषद के सदस्य के तौर पर यूपीए सरकार के दौरान लंबे समय तक काम कर चुके हैं.
साल 2021 में हर्ष मंदर के कई ठिकानों पर ED ने छापेमारी की थी. मनी लॉन्ड्रिंग के केस में उनपर ये कार्रवाई की गई थी. जानकारी के अनुसार हर्ष दो चिल्ड्रन होम चलाते हैं जिनका नाम- उम्मीद अमन घर और खुशी रेनबो होम. इन दोनों ही चिल्ड्रन होम के फंड्स को लेकर उनपर कई आरोप हैं जिसपर पूरा विवाद टिका हुआ है. आरोप तो ये भी है कि 2020 में हुए CAA प्रदर्शन के दौरान इन्हीं बच्चों का इस्तेमाल किया गया था. इसी कड़ी में नेशनल कमिशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स ने भी जांच की थी. जिसके बाद दावा किया गया था कि हर्ष मंदर द्वारा चलाए जा रहे चिल्ड्रन होम से बच्चों को अलग-अलग विरोध प्रदर्शन के लिए ले जाया जाता है.
जांच के आधार पर दिल्ली पुलिस ने हर्ष मंदर और उनके NGO के खिलाफ FIR दर्ज की थी. इस शिकायत में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि हर्ष द्वारा चलाए जाने वाला चिल्ड्रन होम अपने फंड्स को लेकर साफ तौर पर कुछ भी नहीं बता पाया है. इतना ही नहीं इस NGO की इनकम सोर्स को लेकर भी विवाद था. इसी कड़ी में पूर्व IAS हर्ष पर धोखाधड़ी, जालसाजी का आरोप लगा है ईडी ने भी उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज कर लिया था.
इसके अलावा हर्ष मंदर पर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का मामला भी सामने आया था. दिल्ली दंगों के दौरान दिए गए कथित भड़काऊ बयान को लेकर भी पूर्व IAS पर आरोप लगाए थे.दिल्ली पुलिस के डीसीपी लीगल सेल ने साल 2020 में मार्च में एक्टिविस्ट हर्ष मंदर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया था. हर्ष मंदर पर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का आरोप लगाया गया था. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ बयानबाजी की गई बयानबाजी लेकर शीर्ष अदालत ने इस अवमानना के मामले को बंद कर दिया है.
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