नई दिल्ली: आपको शायद याद न हो, लेकिन मैं आपको एक बार फिर याद दिलाना चाहता हूं कि भारत के विभाजन के लिए मुस्लिम नेताओं ने 16 अगस्त को डायरेक्ट एक्शन डे का ऐलान किया था, जब मुस्लिम भीड़ ने हिन्दुओं पर जमकर कहर बरपाया. हालांकि इस मुद्दे का खास असर बंगाल में देखने को […]
नई दिल्ली: आपको शायद याद न हो, लेकिन मैं आपको एक बार फिर याद दिलाना चाहता हूं कि भारत के विभाजन के लिए मुस्लिम नेताओं ने 16 अगस्त को डायरेक्ट एक्शन डे का ऐलान किया था, जब मुस्लिम भीड़ ने हिन्दुओं पर जमकर कहर बरपाया. हालांकि इस मुद्दे का खास असर बंगाल में देखने को मिला, जहां कई इलाकों में दंगे भी देखने को मिले थे. महात्मा गांधी को इलाके में कैंप करना पड़ा था. इन्हीं दंगों को लेकर एक क्योवृद्ध व्यक्ति ने अपने अनुभव को शेयर किया है.
बता दें कि पत्रकार अभिजीत मजूमदार ने इसका वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया है. डायरेक्ट एक्शन डे’ में ज़िंदा बच गए थे. वहीं रबीन्द्रनाथ दत्ता के आँखों के सामने मुस्लिम भीड़ की क्रूरता ने जो भी कुछ देखा था, उन्होंने बताया है. वहीं उनकी उम्र 92 साल है. इस हिसाब से जब घटना घटी थी, तो उस समय उनकी उम्र लगभग 24 साल होगी. उन्होंने बताया है कि कैसे राजा बाजार के बीफ की दुकानों पर हिन्दू महिलाओं को नग्न लाशें लटकाया गया था.
उन्होंने आगे बताया कि विक्टोरिया कॉलेज में जो हिन्दू छात्रा पढ़ रही थी, उस समय कई का बलात्कार किया गया, उनकी हत्याएँ कर के लाशों को हॉस्टल की खिड़कियों से लटका दिया गया था. जमीन पर खून की धार बह रही थी, जो उनके पाँव के नीचे से होते हुए गुजर रही थी. इनमें से कई महिलाएँ का स्तन गायब था. उनके प्राइवेट पार्ट्स पर काले रंग के निशान देखा गया था.
बता दें कि रबीन्द्रनाथ दत्ता ने अपने देखे अनुभवों को दुनिया को बताने के लिए ‘डायरेक्ट एक्शन डे’, नोआखली नरसंहार और 1971 नरसंहार पर दर्जन भर किताबें लिखी. अब आपको एक बात और जानकर हैरान होगी कि उनकी पत्नी का निधन होने के बाद उनके गहने को बेच कर इसके लिए खर्च जुटाया. रबीन्द्रनाथ दत्ता का कहना है कि बंगाल के किसी नेता, मूवी हस्ती या फिर मीडिया को ये सब से मतलब नहीं है.