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9 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक : केंद्र ने जवाब दाखिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से मांगा समय

नई दिल्ली : बीजेपी नेता व वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय, देवीकानंदन ठाकुर सहित कई अन्य लोगों की ओर से सर्वोच्च न्यायलय में देश के 9 राज्यों में हिंदू धर्म के लोगों को अल्पसंख्यक घोषित करने के संबंध में याचिका दायर की गई है. इस याचिका में नौ राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा दिये […]

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Supreme Court
  • August 30, 2022 3:47 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली : बीजेपी नेता व वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय, देवीकानंदन ठाकुर सहित कई अन्य लोगों की ओर से सर्वोच्च न्यायलय में देश के 9 राज्यों में हिंदू धर्म के लोगों को अल्पसंख्यक घोषित करने के संबंध में याचिका दायर की गई है. इस याचिका में नौ राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा दिये जाने की मांग की गई है. दूसरी ओर केंद्र सरकार ने याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है.

केंद्र सरकार को दिया समय

याचिका में कहा गया है कि देश के 9 राज्यों में हिंदू आबादी इस समय अल्पसंख्यक हैं. इसके बावजूद ये आबादी अपने पसंद के शैक्षणिक संस्थान नहीं खोल सकते हैं. जबकि संविधान में अल्पसंख्यकों को अपने पसंद के शैक्षणिक संस्थान खोलने का अधिकार दिया गया है. इस मामले में केंद्र सरकार ने अपने जवाब को दाखिल करने के लिए सर्वोच्च न्यायलय से समय की मांग की. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 6 हफ्ते का समय दिया है. मामले में अगली सवाई 19 अक्टूबर को की जाएगी. सरकार ने कोर्ट से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश के साथ इस मामले पर बैठक करने के लिए समय मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को और 6 हफ़्तों का समय दिया है जिसके बाद केंद्र सरकार को अपनी अंतिम रिपोर्ट पेश करनी है.

लंबा है विवाद

बता दें, 9 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने का यह विवाद आज का नहीं है. हाल ही में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि सरकार के पास अल्पसंख्यकों को अधिसूचित करने का अधिकार है. इस मामले में कोई भी फैसला राज्यों से सलाह-मशविरा करके लिए जा सकता है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को अल्पसंख्यकों की पहचान करने वाली आदेश याचिका पर अपना पक्ष रखने के लिए चार हफ्ते का वक्त दिया था. इस याचिका में केंद्र को अल्पसंख्यकों की पहचान करने के लिए राज्य स्तर पर दिशा-निर्देश तैयार करने का आदेश दिया गया था. इस याचिका में दावा किया गया था कि कई राज्यों में हिंदू जनसंख्या आज के समय में अल्पसंख्यक हैं.

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