नई दिल्ली. जेएनयू में विरोध प्रदर्शन को देखते हुए हिंदू महासभा के नेता ने जारी विवाद पर एक विवादित बयान दिया है. हिंदू महासभा के नेता ने कहा कि या तो जय श्री राम, भारत माता की जय या वंदे मातरम का जाप करना जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में फीस में कमी का लाभ उठाने में फायदेमंद होना चाहिए. जेएनयू में भारत विरोधी छात्रों के बहुमत का आह्वान करते हुए, भगवा पहने स्वामी चक्रपाणि ने एक असामान्य उदाहरण के साथ उनकी मांग को तर्क दिया. उन्होंने कहा, देखो, माता-पिता अपने बच्चों को खिलाते हैं. लेकिन क्या इसका मतलब यह है कि अगर वे भटक जाते हैं तो वे उन्हें अनुशासित नहीं कर सकते? भटक गए इन छात्रों को भी अनुशासित रहने की आवश्यकता है.
जय श्री राम के धार्मिक नारे के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, जो भगवान श्री राम का नाम लेगा वो मर्यादा में रहेगा. फिर उन्होंने कहा, यदि आप उनका नाम नहीं लेना चाहते हैं, तो आपको वंदे मातरम या भारत माता की जय का जाप करना होगा. ये तो बोल सकते हो. ऐसा करना देशभक्ति है. जेएनयू के छात्रों को पिज्जा-बर्गर वाले कहते हुए, उन्होंने दावा किया कि छात्रों के पास संस्कार की कमी है. बता दें कि जेएनयू के छात्रों ने सोमवार को सड़कों पर उतरकर संसद में इंटर हॉल प्रशासन (आईएचए) की बैठक की मांग की, जिसे जेएनयूएसयी की भागीदारी के साथ फिर से जोड़ा जाए, छात्रों के परामर्श से एक नया छात्रावास मसौदा तैयार किया जाए और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि एक पूर्ण रोल शुल्क वृद्धि के पीछे बात हो.
सोमवार को धारा 144 के आस-पास धारा लगाई गई थी जिसे छात्रों ने खारिज कर दिया था, जिनमें से कुछ को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में लिया था क्योंकि उन्होंने संसद की ओर मार्च किया था जहां सत्र जारी है. हालांकि, बाद में उन्हें छोड़ दिया गया. केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने पहले एक आंशिक रोलबैक की घोषणा की जिसका उन्होंने दावा किया कि इससे आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के छात्रों को लाभ होगा. लेकिन जेएनयूएसयू की मांग को पूरी तरह से सरकार ने वापस ले लिया है. यह मुद्दा उस समय हाथ से निकल गया जब कुलपति कार्यालय पर छात्रों द्वारा कथित रूप से ग्रेफाइटिस का छिड़काव किया गया था, जेएनयू में स्वामी विवेकानंद की एक अभी तक की अनावरण प्रतिमा के साथ बर्बरता की गई थी और छात्र के डीन को कथित तौर पर 24 घंटे से अधिक समय तक बंधक बनाकर रखा गया था. चक्रपाणी ने विवेकानंद की प्रतिमा को क्षत-विक्षत करने का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा, जेएनयू राष्ट्रविरोधीओं का अड्डा बन चुका है.
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