No Plans to Make Hindi Compulsory: मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक देश के स्कूलों में 8 वीं कक्षा तक हिन्दी भाषा को अनिवार्य बनाए जाने को लेकर बीते महीने ही एक कमेटी ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय (HRD Ministry) को ड्राफ्ट तैयार कर दे दिया था.
नई दिल्ली. No Plans to Make Hindi Compulsory: मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस बात से इंकार किया है. उन्होंने कहा है कि सरकार ऐसा कुछ भी नहीं कर जा रही है और स्कूलों में 8वीं कक्षा तक हिन्दी को अनिवार्य बनाने का सरकार का कोई इरादा नहीं है. सामने आई कुछ रिपोर्ट को लेकर प्रकाश जावड़ेकर ने ट्वीट किया. उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि नई शिक्षा नीति बनाने के लिए जो कमेटी बनाई गई थी उन्होंने अपनी अनुशंसा दे दी है और उसमें किसी भी भाषा को अनिवार्य बनाने की सिफारिश नहीं की गई है. मीडिया के एक वर्ग में शरारती और भ्रामक रिपोर्ट को देखते हुए यह स्पष्ट करना बेहद आवश्यक है.
बता दें कि कुछ समय पहले ऐसी रिपोर्ट सामने आईं थी कि नरेंद्र मोदी सरकार स्कूलों के पाठ्यक्रम में बड़े बदलाव कर सकती हैं. अग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार न्यू एजुकेशन पॉलिसी के तहत हिंदी समेंत 3 तीन भाषाओं को कक्षा 8वीं तक अनिवार्य बनाने की सिफारिश की गई है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक देश के स्कूलों में 8वीं कक्षा तक हिन्दी भाषा को अनिवार्य बनाए जाने को लेकर कुछ समय पहले एक कमेटी ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को ड्राफ्ट तैयार कर दिया था.
The Committee on New Education Policy in its draft report has not recommended making any language compulsory. This clarification is necessitated in the wake of mischievous and misleading report in a section of the media.@narendramodi @PMOIndia
— Prakash Javadekar (@PrakashJavdekar) January 10, 2019
इससे पहले सामने आई रिपोर्ट में दावा किया गया था कि न्यू एजुकेशन पॉलिसी के तहत हिंदी समेत तीन भाषाओं को कक्षा 8वीं तक अनिवार्य बनाने की सिफारिश की गई है. रिपोर्ट में NEP के लिए गठित 9 सदस्यीय के कस्तूरीरंगन कमेटी ने कई अहम बदलाव के संकेत की बात कही गई थी. रिपोर्ट में देश भर के शिक्षण संस्थानों में गणित और विज्ञान विषयों का एक समान सिलेबस लागू करने की बात कही गई. इस फॉर्मूले के तहत पूरे देश में एक तरह की शिक्षा व्यवस्था से बच्चों को हुनरमंद बनाने पर जोर दिया जाएगा. इस ड्राफ्ट में पिछड़े हुए तबकों के बच्चों के लिए देवनागिरी में सिलेबस तैयार करने की बात भी कई गई.
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