हिंदी अकादमी के उपाध्यक्ष, वरिष्ठ साहित्यकार, पत्रकार, कवि विष्णु खरे का बुधवार को निधन हो गया. दिल्ली के जी.बी. पंत अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली. ब्रेन हेमरेज के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
नई दिल्लीः हिंदी अकादमी के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ साहित्यकार विष्णु खरे इस दुनिया में नहीं रहे. बुधवार को दिल्ली के जी.बी. पंत अस्पताल में इलाज के दौरान उनका निधन हो गया. करीब एक हफ्ते पहले ब्रेन हेमरेज के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनके स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हो रहा था. जिसके बाद बुधवार को उन्होंने अस्पताल में ही अंतिम सांस ली. हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने बताया कि विष्णु खरे पिछले कई दिनों से आईसीयू में ही भर्ती थे. उनके इलाज के लिए कई वरिष्ठ डॉक्टरों की टीम तैनात थीं. न्यूरो सर्जरी विभाग के दो वरिष्ठ अधिकारी उनके स्वास्थ्य की लगातार मॉनिटरिंग कर रहे थे.
9 फरवरी, 1940 को मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में विष्णु खरे का जन्म हुआ था. उन्होंने इंदौर के क्रिश्चियन कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में एमए किया था. इसके बाद खरे ने हिंदी पत्रकारिता से अपने करियर की शुरुआत की थी. वह ‘दैनिक इंदौर’ में उप-संपादक रहे थे. खरे दिल्ली, लखनऊ और जयपुर में नवभारत टाइम्स के संपादक भी रहे थे. वह साहित्य अकादमी के उपसचिव भी रहे. इसी साल 30 जून को उन्होंने हिंदी अकादमी के उपाध्यक्ष पद का कार्यभार संभाला था.
विष्णु खरे दिल्ली के मयूर विहार स्थित हिंदुस्तान अपार्टमेंट में रहते थे. पिछले हफ्ते ब्रेन हेमरेज की वजह से उन्हें जीबी पंत अस्पताल में भर्ती कराया गया था. खरे की हालत नाजुक बनी हुई थी. डॉक्टरों ने अगले 48 घंटे बेहद अहम बताए थे. बुधवार को उनके स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हुआ और आज दोपहर उन्होंने अंतिम सांस ली. खरे के निधन पर सोशल मीडिया पर लोक शोक व्यक्त कर रहे हैं. बताते चलें कि खरे मुंबई में रह रहे थे. हाल ही में हिंदी अकादमी का उपाध्यक्ष बनने के बाद से वह दिल्ली में रह रहे थे.
विष्णु खरे की रचनाओं में काल और अवधि के दरमियान, सब की आवाज के पर्दे में, खुद अपनी आंख से, पिछला बाकी, लालटेन जलाना, आलोचना की पहली किताब आदि शामिल हैं. विष्णु खरे को हिंदी साहित्य में विश्व प्रसिद्ध रचनाओं के अनुवादक के तौर पर भी जाना जाता है. खरे ने मशहूर ब्रिटिश कवि टी.एस. इलियट की किताबों का भी अनुवाद किया और उस पुस्तक का नाम ‘मरु प्रदेश और अन्य कविताएं’ है. विष्णु खरे हिंदी अकादमी साहित्य सम्मान, रघुवीर सहाय सम्मान, शिखर सम्मान, हिंदी साहित्य के नाइट ऑफ द व्हाइट रोज सम्मान और मैथिलीशरण गुप्त सम्मान से नवाजे जा चुके थे.