शिमला :इस साल हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं जिसकी तारीखों का भी ऐलान हो चुका है. प्रदेश में 12 नवंबर को वोटिंग होगी और 8 दिसंबर को परिणाम घोषित किए जाएंगे. हिमाचल चुनावों की नज़र से काफी अहमियत रखता है क्योंकि ये पहला राज्य है जहां से भारत को विटर मिला और ये वहीं […]
शिमला :इस साल हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं जिसकी तारीखों का भी ऐलान हो चुका है. प्रदेश में 12 नवंबर को वोटिंग होगी और 8 दिसंबर को परिणाम घोषित किए जाएंगे. हिमाचल चुनावों की नज़र से काफी अहमियत रखता है क्योंकि ये पहला राज्य है जहां से भारत को विटर मिला और ये वहीं जमीन है जहां पर सबसे चहेते और जीते हुए मुख्यमंत्री अपने ही राज्य में हार गए थे. हिमाचल की ख़ास बात ये भी है कि यहां हर 5 साल में सरकार बदलती है. ऐसे में भाजपा के लिए सत्ता दोबारा हासिल करने पर भी सवाल खड़े होते हैं.
हिमाचल के कई ज़िलों में एंटी इनकम्बेंसी है वहीं लोग सरकार प्यार जताना भी खूब जानते हैं. इस राज्य में सरकारी कर्मचारियों की संख्या ज्यादा है इसलिए किसी भी सरकार के लिए कामकाजी मध्य वर्ग को खुश कर पाना मुश्किल रहा है. इस बार आम आदमी पार्टी भी चुनाव लड़ने जा रही है. AAP ने हरजोत सिंह बैंस को अपनी पार्टी का हिमाचल प्रभारी बना दिया है जो पंजाब में आप के शिक्षा मंत्री हैं. कांग्रेस पार्टी की बात करें तो राज्य में उनके पांव पहले से ही जमे हुए हैं. महंगाई, बेरोजगारी, सरकारी कर्मचारियों के लिए बेहतर भत्ते को लेकर वह विरोध करती आई है. मौजूदा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के लिए जीत आसान तो नहीं होगी लेकिन बाकी बड़े राज्यों की मोदी लहर यहां पर काम भी आ सकती है.
राज्य में सिर्फ एक फेज़ में चुनाव होने वाला है. हिमाचल में करीब 55 लाख वोटर हैं जिनमें 27 लाख 80 हजार पुरुष और 27 लाख 27 हजार महिलाएं हैं. वहीं 1.6 लाख वोटर नए वोटर्स होंगे. राज्य में सेवा कर्मियों की संख्या 67 हजार 532, PWD की संख्या 56,001 हैं. वहीं राज्य में 1184 लोग हैं, जिनकी उम्र 100 साल से ज्यादा है.
कांग्रेस 1980 के बाद 1985 में भी दोबारा सत्ता में आई थी और 1990 तक रही. जिसके बाद बीजेपी 46 सीटें लेकर सत्ता में आई. 1992 में अयोध्या में बाबरी विध्वंस के बाद सरकार सरकार बर्खास्त हो गई. फिर 1993 में विधानसभा चुनाव हुए. जिसमें कांग्रेस के वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री बने और साल 1998 में बीजेपी एक बार फिर सत्ता में आई. इसके बाद भाजपा से प्रेम कुमार धूमल ने प्रदेश की कमान संभाली.
2003 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 43 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की. उस वार वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री बने. साल 2007 में भाजपा को 41 और कांग्रेस को 23 सीटें मिलीं। इसके बाद प्रेम कुमार धूमल मुख्यमंत्री बने. 2012 के कांग्रेस ने वापसी करते हुए 36 सीटों पर जीत दर्ज़ की. बीजेपी को 26 सीटें मिली और कांग्रेस से वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री बने. पांच साल के बाद जब चुनाव हुए तो वीरभद्र सिंह अपनी सीट नहीं बचा पाए. साल 2017 में एक बार फिर बीजेपी सत्ता में आई, लेकिन धूमल चुनाव हार गए.
बता दें, 8 जनवरी 2023 को हिमाचल प्रदेश विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है. 68 विधानसभा सीटों पर विधानसभा चुनाव करवाया जाएगा. इस प्रदेश में 2017 में 9 नवंबर को वोटिंग करवाई गई थी.
Russia-Ukraine War: पीएम मोदी ने पुतिन को ऐसा क्या कह दिया कि गदगद हो गया अमेरिका
Raju Srivastava: अपने पीछे इतने करोड़ की संपत्ति छोड़ गए कॉमेडी किंग राजू श्रीवास्तव