हिमाचल: शिमला। तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुगामियों को उनके चौथे धर्मगुरु मिल गए है। यह चौथे धर्मगुरु कोई और नहीं बल्कि हिमाचल प्रदेश से चार साल के नवांग ताशी रापटेन है। आपको बता दें कि ताशी ने अब तक सिर्फ़ नर्सरी की पढ़ाई पूरी की है। अब वह पारंपरिक रूप से शिमला के पंथाघाटी दोरजीडक […]
शिमला। तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुगामियों को उनके चौथे धर्मगुरु मिल गए है। यह चौथे धर्मगुरु कोई और नहीं बल्कि हिमाचल प्रदेश से चार साल के नवांग ताशी रापटेन है। आपको बता दें कि ताशी ने अब तक सिर्फ़ नर्सरी की पढ़ाई पूरी की है। अब वह पारंपरिक रूप से शिमला के पंथाघाटी दोरजीडक मॉनेस्ट्री के धर्मगुरु बन गए है। ताशी की पहचान तकलुंग चेतुल रिनपोछे के चौथे अवतार के रूप से की गई है, वे अब पंथाघाटी में दोरजीडक मठ में औपचारिक रूप से धार्मिक शिक्षा ग्रहण करेंगे और आने वाले समय में बौद्ध धर्म के लोगों का मार्गदर्शन करेंगे।
बौद्ध धर्म के सेवक भी “तकलुंग चेतुल रिनपोछे” के पुनर्वतार से काफ़ी खुश नज़र आ रहे हैं। पिछले सात साल से इस पल का इंतज़ार बौद्ध धर्म के लोगों ने किया है। जो कि विधिपूर्वक रूप से पंथाघाटी के मठ में संपन्न किया जाएगा है। अपने धर्म गुरु का आशीर्वाद लेने के लिए अनुयायी नेपाल, भूटान, लद्दाख और हिमाचल के अलग-अलग हिस्सों से मठ में आए है।
सोमवार को यह सात साल का इंतज़ार ख़त्म हुआ और मठ को उनके बौद्ध धर्म के चौथे गुरु मिल गए। अपने धर्म गुरु तकलुंग चेतुल रिनपोछे का आशीर्वाद लेने अनुयायी नेपाल, भूटान, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग मठों से शिमला पहुंचे थे। अब मठ के धर्म गुरु बन चुके ताशी के दादा छेतन अंगचूक ने भी इस मौके पर ख़ुशी जाहिर की और कहा-यह लाहौल व स्पीति और किन्नौर के साथ-साथ हमारे देश और दुनिया के बौद्ध अनुयायियों के लिए ख़ुशी की बात है।
वह और उनके घर वाले “तकलुंग चेतुल रिनपोछे” के पुनर्जन्म से काफ़ी खुश हैं। उधर बौद्ध धर्म के अनुयायी भी “तकलुंग चेतुल रिनपोछे” के पुनर्वतार से काफ़ी खुश हैं और उनको उनके गुरु ये अवतार दिख के काफ़ी ज़्यादा उत्कृष्ट महसूस हो रहा है।
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