नई दिल्ली : कई बार कोर्ट में बेहद अजीबो-गरीब याचिकाएं दायर की जाती हैं. हम आपको एक ऐसी ही याचिका के बारे में बता रहे हैं, जिसे सुनने के बाद आप जरूर सोचने पर मजबूर हो जाएंगे। जहां एक महिला ने बच्चा पैदा करने के लिए अपने पति की रिहाई की मांग करते हुए कोर्ट […]
नई दिल्ली : कई बार कोर्ट में बेहद अजीबो-गरीब याचिकाएं दायर की जाती हैं. हम आपको एक ऐसी ही याचिका के बारे में बता रहे हैं, जिसे सुनने के बाद आप जरूर सोचने पर मजबूर हो जाएंगे। जहां एक महिला ने बच्चा पैदा करने के लिए अपने पति की रिहाई की मांग करते हुए कोर्ट में याचिका दायर की है. ये मामला मध्य प्रदेश के जबलपुर का है. जहां एक महिला बच्चे को जन्म देकर मां बनना चाहती है। महिला का कहना है कि मां बनना उसका मौलिक अधिकार है। लेकिन महिला का पति जेल में है. इसके लिए महिला ने हाई कोर्ट high court में याचिका दायर कर अपने पति की रिहाई की गुहार लगाई है.
महिला की दायर याचिका पर न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकल पीठ ने सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के डीन को पांच डॉक्टरों की एक टीम बनाने का आदेश दिया. ताकि महिला की जांच कर यह पता लगाया जा सके कि वह गर्भधारण करने के लिए चिकित्सकीय रूप से स्वस्थ है या नहीं।
सरकारी वकील सुबोध कथार के मुताबिक, महिला का पति एक आपराधिक मामले में जेल में है और महिला मां बनना चाहती है. इसके लिए उन्होंने अपने पति की रिहाई के लिए याचिका दायर की है. इस मामले में, महिला ने राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार बच्चा पैदा करने के अपने मौलिक अधिकार का दावा किया। वकील ने कहा कि कोर्ट ने महिला की याचिका पर 27 अक्टूबर को आदेश पारित किया था.
इसके साथ ही वकील ने यह भी बताया कि महिला के रिकॉर्ड के मुताबिक वह रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) की उम्र पार कर चुकी है. ऐसी स्थिति में उसके कृत्रिम या प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने की कोई संभावना नहीं है। इसके लिए हाई कोर्ट high court ने विशेषज्ञों की एक टीम बनाकर महिला की जांच करने का आदेश दिया है, ताकि पता चल सके कि महिला गर्भधारण कर सकती है या नहीं. कोर्ट ने याचिकाकर्ता महिला को 7 नवंबर को डीन के सामने पेश होने का निर्देश दिया है।
हाई कोर्ट high court के आदेश के बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के डीन 5 डॉक्टरों की एक टीम बनाएंगे जिसमें 3 स्त्री रोग विशेषज्ञ, एक मनोचिकित्सक और एक एंडोक्राइनोलॉजिस्ट शामिल होंगे. पांच डॉक्टरों की टीम महिला की गहन जांच करेगी और डीन 15 दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेंगे. इस मामले की अगली सुनवाई 22 नवंबर को की जाएगी.
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