यहां है नाग देवता का रहस्यमयी मंदिर, जिसने करी ये गलती, उसे मिली मौत की सजा!

नई दिल्ली: देश में नाग देवता के कई जगहों पर अनोखे मंदिर मौजूद हैं। इनमें से ही एक मंदिर ऐसा जिसके बारे में सुनकर आप हैरान हो जाएंगे। उत्तर प्रदेश नाग देवता का ये प्राचीन और रहस्यमयी मंदिर है। औरैया जनपद के दिबियापुर थाना क्षेत्र के सेहुद ग्राम में नाग देवता का यह रहस्यमयी मंदिर […]

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यहां है नाग देवता का रहस्यमयी मंदिर, जिसने करी ये गलती, उसे मिली मौत की सजा!

Shweta Rajput

  • November 14, 2024 2:51 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 hours ago

नई दिल्ली: देश में नाग देवता के कई जगहों पर अनोखे मंदिर मौजूद हैं। इनमें से ही एक मंदिर ऐसा जिसके बारे में सुनकर आप हैरान हो जाएंगे। उत्तर प्रदेश नाग देवता का ये प्राचीन और रहस्यमयी मंदिर है। औरैया जनपद के दिबियापुर थाना क्षेत्र के सेहुद ग्राम में नाग देवता का यह रहस्यमयी मंदिर मौजूद है। इस मंदिर को प्राचीन धौरा नाग मंदिर के नाम से जाना जाता है। जानकारी के मुताबिक मोहम्मद गजनवी के आक्रमण के समय 11 वीं सदी में यह मंदिर तोड़-फोड़ का प्रतीक है। इस मंदिर में नागपंचमी पर नाग देवता की विशेष पूजा अर्चना की जाती है और गांव में नागपंचमी के दिन मेला लगता है और मेले में दंगल का भी आयोजन होता है।

मंदिर में नहीं है छत

बता दें कि आज भी सदियों पुरानी खंडित मूर्तियां इस मंदिर में पड़ी हुई हैं। मंदिर में प्रवेश करते ही ये मूर्तियां नजर आती हैं। अपनी अनोखी मान्यता के लिए ही यह नाग मंदिर काफी प्रसिद्ध है। इस मंदिर पर छत का निर्माण नहीं है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में छत का निर्माण जो कोई भी कराने का प्रयास करता है, उसकी असमय मौत हो जाती है। बाहर के लोग जब यहां दर्शन करने आते हैं तो लोग यह देखकर दंग रह जाते हैं कि इस प्राचीन मंदिर की छत नहीं है।

क्या कहते हैं लोग?

इस मंदिर के बारे में लोगों का कहना है कि जिसने भी इस मंदिर में छत का निर्माण कराने का प्रयास किया, उसकी या उसके परिवार के किसी सदस्य की असमय मौत हो गई। इतना ही नहीं मंदिर की छत भी अपने आप टूटकर नीचे गिर जाती है। एक बार मंदिर में इसी गांव के एक इंजीनियर ने छत बनवाने की कोशिश की थी। इसके कुछ समय बाद इंजीनियर के दोनों बच्चों का मृत्यु हो गया और सुबह छत भी गिरी हुई मिली। उस दिन से लेकर आज तक किसी ने भी इस मंदिर में छत डलवाने की हिम्मत भी नहीं की है।

कुछ नहीं ले जा सकते साथ

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मंदिर हमेशा खुला रहता है। इस मंदिर में सदियों पुरानी मूर्तियां पड़ी रहती हैं, परंतु कोई भी इंसान इस मंदिर से कोई चीज लेकर नहीं जा सकता। जो कोई भी इस मंदिर से कोई चीज अपने साथ ले जाता है तो उसके सामने ऐसे हालात पैदा हो गए कि उसे वापस वो चीज रखने के लिए आना पड़ा। इस मंदिर से 1957 में इटावा के तत्कालीन जिलाधिकारी क मूर्ति ले गए थे, लेकिन कुछ समय बाद उनको वो मूर्ति वापस रखने के लिए आना पड़ा था।

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