नई दिल्ली. उत्तर भारत के अलग-अलग इलाकों में कई दिनों से हो रही बारिश और ओलावृष्टि किसानों पर आपदा बनकर टूटी है. सबसे ज्यादा नुकसान उत्तर प्रदेश के झांसी, महोबा, कानपुर और कानपुर देहात में हुआ है. मध्य प्रदेश में ग्वालियर, मुरैना, शिवपुरी और श्योपुर जिलों में सरसों की फसल को नुकसान पहुंचा है, जबकि […]
नई दिल्ली. उत्तर भारत के अलग-अलग इलाकों में कई दिनों से हो रही बारिश और ओलावृष्टि किसानों पर आपदा बनकर टूटी है. सबसे ज्यादा नुकसान उत्तर प्रदेश के झांसी, महोबा, कानपुर और कानपुर देहात में हुआ है. मध्य प्रदेश में ग्वालियर, मुरैना, शिवपुरी और श्योपुर जिलों में सरसों की फसल को नुकसान पहुंचा है, जबकि राजस्थान के कई जिलों में सरसों और गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचा है.
यूपी के महोबा, बांदा, फर्रुखाबाद, कानपुर देहात और उन्नाव में शनिवार की रात के साथ ही रविवार की सुबह हुई ओलावृष्टि से फसलों को नुकसान पहुंचा है. महोबा में 90 फीसदी तक फसल बर्बाद हो चुकी है। ओलों की चपेट में आने से कई जगह पक्षी पेड़ों के नीचे मृत पाए गए। ललितपुर के तालबेहट प्रखंड के धंगोल गांव में बारिश के कारण मकान की छत गिरने से बालक की मौत हो गयी, जबकि चार घायल हो गये. उन्नाव जिले के बांगरमऊ, हसनगंज और सफीपुर तहसील के कुछ इलाकों में ओलावृष्टि ने किसानों को तबाह कर दिया. फतेहपुर चौरासी क्षेत्र के पिठानहार गांव में बारिश के कारण पोल्ट्री फार्म गिरने से करीब 800 चूजों की मौत हो गयी.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कलेक्टरों को नुकसान का आकलन करने के निर्देश दिए हैं. राजस्थान के कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने अधिकारियों से नुकसान की जानकारी मांगी है. बता दें कि यह मौसम फलों और सब्जियों के लिए भी अच्छा होता है, लेकिन ध्यान रहे कि आलू के खेत में बारिश का पानी जमा न हो. अगले कुछ दिनों तक खेतों में पानी नहीं देना चाहिए।