बेंगलुरू: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो 500 करोड़ की लागत से तैयार देश की सबसे वजनी 5.6 टन की सैटेलाइट जीसैट-11 लांच करेगा. भारत इस सैटेलाइट को साउथ अमेरिकी आइलैंड फ्रेंच गुयाना से एरियन-5 रॉकेट के जरिए लॉन्च करेगा क्योकिं भारत के पास चार टन से ज्यादा वजनी सैटेलाइट भेजने की छमता रखने वाले रॉकेट नहीं है. सैटेलाइट के लॉन्च होने के बाद देश में इंटरनेट कनेक्टिविटी बेहतर होगी, जिससे न केवल लोगों को बड़ा फायदा मिलेगा बल्कि मोदी सरकार की मुहिम डिजिटल इंडिया को भी मजबूती मिलेगी.
क्यों खास है सैटेलाइट जीसैट-11
साल 2018 में लॉन्च होने वाला यह सैटेलाइट जी-सैट 19 से ज्यादा ताकतवर है. इसके सफल प्रक्षेपण के बाद भारत का खुद का इंटरनेट प्रदाता उपग्रह हो जाएगा, जिसके बाद पूरे देश में 13 जीबी/सेकंड की इंटरनेट स्पीड मिलेगी. बता दें कि पहली बार देश को अपना सैटेलाइट बेस्ड इंटरनेट मिलेगा. इसरो के अध्यक्ष एएस किरण कुमार का कहना है कि “इसरो देश को नयी क्षमता प्रदान करने का प्रयास कर रहा है, उपग्रह आधारित इन्टरनेट उसका केवल एक संकेत भर है. हमें डिजिटल इंडिया के नजरिये से ग्राम पंचायत, तालुका और सुरक्षा बलों को जोड़ने की जरुरत है.
किस सैटेलाइट सीरीज का हिस्सा है जीसैट-11
जीसैट-11 सैटेलाइट इसरो के इंटरनेट बेस्ड सैटेलाइट सीरीज का हिस्सा है. जिसका उद्देश्य इंटरनेट की स्पीड को बढ़ाना है. इस मिशन के तहत अंतरिक्ष में 18 महीने में तीन सैटेलाइट भेजे जाने हैं जिसमें से एक सैटेलाइट यानी जीसैट-19 जून 2017 को भेज दिया गया था. जीसैट-11 को इसी महीने भेजा जाएगा वहीं तीसरे सैटेलाइट जीसैट-20 को साल के आखिर तक भेजने की योजना है.
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