नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ओडिशा के श्री जगन्नाथ मंदिर में कथित अवैध उत्खनन और निर्माण कार्य के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया है। ओडिशा सरकार श्री जगन्नाथ मंदिर में खुदाई और निर्माण कार्य करवा रही है। सोमवार को मामले का जिक्र होने के बाद जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस हिमा […]
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ओडिशा के श्री जगन्नाथ मंदिर में कथित अवैध उत्खनन और निर्माण कार्य के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया है। ओडिशा सरकार श्री जगन्नाथ मंदिर में खुदाई और निर्माण कार्य करवा रही है। सोमवार को मामले का जिक्र होने के बाद जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने याचिका पर मंगलवार को सुनवाई के निर्देश दिए थे।
शीर्ष अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार को भी नोटिस जारी करने को कहा, जो श्री जगन्नाथ मंदिर मामले में न्याय मित्र और राज्य के वकील हैं। याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य की एजेंसियां जिस तरह से काम कर रही हैं वह प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 का पूर्ण उल्लंघन है। ओडिशा सरकार अनाधिकृत तरीके से निर्माण कार्य कर रही है। इससे इस प्राचीन मंदिर के लिए खतरा पैदा हो गया है।
दरअसल, याचिकाकर्ता के वकील ने जगन्नाथ मंदिर में अतिक्रमण के मामले में सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की थी। याचिकाकर्ता का कहना है कि अवैध उत्खनन से मंदिर खतरे में है। उन्होंने कोर्ट से कहा कि पुनर्निर्माण की अनुमति नहीं है लेकिन अतिक्रमण के साथ निर्माण कार्य चल रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने पूछा कि क्या इस मामले में हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है? याचिकाकर्ता सुमंत कुमार गढ़ी के वकील गौतम दास ने जवाब दिया कि अर्जी दाखिल कर दी गई है लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई। इसलिए सुप्रीम कोर्ट को मंगलवार को ही मामले की सुनवाई करनी चाहिए।
अदालत ने कहा कि आवेदन की प्रति मामले के न्याय मित्र और राज्य के वकीलों को भी दी जानी चाहिए। कोर्ट मंगलवार को मामले की सुनवाई करेगी। इस मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने ओडिशा हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा था कि गहरी खुदाई से मंदिर को नुकसान होने की आशंका है। याचिका में कहा गया है कि मंदिर परिसर में मेघनाद पचेरी मंदिर के पास तीस फीट की गहराई तक खुदाई की गई है। इससे मंदिर की नींव को खतरा हो सकता है।
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