नई दिल्ली: नए संसद भवन के उद्घाटन पर शीर्ष अदालत में आज शुक्रवार (26 मई) को सुनवाई है। इतना ही नहीं याचिका में सुप्रीम कोर्ट से नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराने का निर्देश लोकसभा सचिवालय को देने की मांग की गई है। वहीं इस याचिका में साफ कहा गया है कि लोकसभा […]
नई दिल्ली: नए संसद भवन के उद्घाटन पर शीर्ष अदालत में आज शुक्रवार (26 मई) को सुनवाई है। इतना ही नहीं याचिका में सुप्रीम कोर्ट से नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराने का निर्देश लोकसभा सचिवालय को देने की मांग की गई है। वहीं इस याचिका में साफ कहा गया है कि लोकसभा सचिवालय का बयान और लोकसभा के महासचिव का उद्घाटन समारोह के लिए जारी निमंत्रण भारतीय संविधान का उल्लंघन करना है।
जानकारी के मुताबिक नए संसद भवन पर केंद्र सरकार के साथ अब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) मिलाकर 25 दल हैं। इतना ही नहीं उद्घाटन कार्यक्रम के बहिष्कार की विपक्ष की मुहिम से कई दलों ने किनारा कर लिया है। वहीं बसपा, जद-एस और तेलुगू देशम ने कल गुरुवार (25 मई) को समारोह में शामिल होने की घोषणा की है। साथ ही उन्होंने कहा कि यह जनहित का मुद्दा है, इसका बहिष्कार करना सही नहीं है। एनडीए में बीजेपी के साथ 18 दलों के अलावा विपक्षी खेमे के 7 दलों ने उद्घाटन समारोह में शामिल करने की स्वीकृति दी है।
वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती का कहना है कि केंद्र में चाहे कांग्रेस की सरकार रही हो या बीजेपी की, बसपा ने हमेशा दलगत राजनीति से ऊपर उठकर निर्णय लिया हैं। इतना ही नहीं संसद के नए भवन के उद्घाटन को भी पार्टी इसी संदर्भ में देखते हुए स्वागत करती है। साथ ही मायावती ने कहा कि पार्टी की लगातार जारी समीक्षा बैठकों संबंधी पूर्व निर्धारित व्यस्तता की वजह से वह समारोह में शामिल नहीं हो पाएंगी।
वहीं दूसरी तरफ आंध्र प्रदेश में विपक्षी दल तेदेपा की तरफ से राज्यसभा सांसद कनकमेदला रवींद्र कुमार समारोह में प्रतिनिधित्व करेंगे। तेदेपा की तरफ से जारी आधिकारिक बयान के मुताबिक, पार्टी प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू ने यह निर्णय किया। फिलहाल तेदेपा के राज्यसभा में एक तथा लोकसभा में 3 सांसद हैं।
New Parliament: जानिए नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर क्या कहता है भारत का संविधान