नई दिल्लीः संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने का बचाव करते हुए केंद्र ने कल सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि यह कदम उठाए जाने के बाद जम्मू कश्मीर के पूरे इलाके में ‘अभूतपूर्व’, समृद्धि और प्रगति देखने को मिल रही है। वहीं इस मामले में केंद्र ने कहा कि आतंकवादियों द्वारा सड़कों पर की जाने वाली अलगाववादी और हिंसा नेटवर्क अब ‘अतीत की बात’ हो गई है।
क्षेत्र की विशिष्ट सुरक्षा स्थिति का संदर्भ देते हुए केंद्र का कहना है कि आतंकवादी-अलगाववादी एजेंडा से संबंधित सुनियोजित पथराव की घटनाएं साल 2018 में 1,767 थीं, जो घटकर अब साल 2023 में आज की तारीख में शून्य हो चुकी हैं और सुरक्षाकर्मियों के हताहत होने के मामलों में साल 2018 की तुलना में साल 2022 में 65.9 फीसदी की कमी देखी गई है। वहीं केंद्र के हलफनामे पर आज मंगलवार को प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ गौर करेगी।
पीठ द्वारा जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक समूह पर आज सुनवाई होगी। केंद्र ने 5 मई साल 2019 को पूर्ववर्ती राज्य जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा निरस्त कर दिया था और साथ ही इसे 2 केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख के रूप में विभाजित कर दिया था। इस मामले में केंद्र ने दलील दी है कि ऐतिहासिक संवैधानिक कदम क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति, सुरक्षा और स्थिरता लेकर आया है, जो अनुच्छेद 370 के लागू रहने के दौरान नहीं था।
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