गोधरा कांड के दोषियों की जमानत याचिका पर आज SC में सुनवाई, मिलेगी राहत या जेल में बीतेगी जिंदगी?

नई दिल्ली। गुजरात के गोधरा में साल 2002 में हुए ट्रेन अग्निकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट आज दोषियों की जमानत याचिका पर सुनवाई करेगा। ट्रेन अग्निकांड के दोषी फिलहाल आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायाधीश पीएस नरसिम्हा और न्यायाधीश जेजी पादरीवाला की बेंच दोषियों की जमानत याचिका पर […]

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गोधरा कांड के दोषियों की जमानत याचिका पर आज SC में सुनवाई, मिलेगी राहत या जेल में बीतेगी जिंदगी?

Vaibhav Mishra

  • April 10, 2023 9:38 am Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली। गुजरात के गोधरा में साल 2002 में हुए ट्रेन अग्निकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट आज दोषियों की जमानत याचिका पर सुनवाई करेगा। ट्रेन अग्निकांड के दोषी फिलहाल आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायाधीश पीएस नरसिम्हा और न्यायाधीश जेजी पादरीवाला की बेंच दोषियों की जमानत याचिका पर सुनवाई करेगी। बता दें कि, दोषियों ने अपने ऊपर लगे आरोपों को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है।

24 मार्च को अदालत ने ये कहा था

इससे पहले शीर्ष अदालत ने 24 मार्च को कहा था कि वह अगली सुनवाई की तारीख में ट्रेन अग्निकांड के दोषियों की जमानत याचिकाओं का निस्तारण करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गुजरात सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता की उस दलील पर गौर किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि कोर्ट को कुछ दोषियों के संबंध में तथ्यात्मक विवरणों को सत्यापित करना है।

गुजरात सरकार ने कोर्ट में क्या कहा?

गुजरात सरकार ने 20 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि वह गोधरा कांड के 11 दोषियों की मौत की सजा की मांग करेगी, जिनकी सजा को इससे पहले गुजरात हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास में बदल दिया था। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया था कि सरकार उन दोषियों को मौत की सजा देने के लिए जोर देगी, जिनके मृत्युदंड को गुजरात हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास में बदल दिया था। उन्होंने कहा कि महिलाओं-बच्चों समेत 59 लोगों को जिंदा जला देना दुर्लभतम मामलों में से एक है।

आजीवन कारावास में बदली गई सजा

सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि गोधरा कांड के 11 दोषियों को निचली अदालत ने मृत्युदंड की सजा सुनाई थी। इसके साथ ही 20 अन्य लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। मेहता ने कहा कि गुजरात हाईकोर्ट ने इस मामले में कुल 31 लोगों की दोषसिद्धि को बरकरार रखा, लेकिन 11 दोषियों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। सॉलीसिटर जनरल ने बताया कि कई आरोपियों ने इस मामले में अपनी दोषसिद्धि को बरकरार रखे जाने के संबंध में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। गौरतलब है कि, गुजरात के गोधरा में 27 फरवरी, 2002 को हुए ट्रेन अग्निकांड में 59 लोगों की मौत हुई थी। इस अग्निकांड के बाद पूरे राज्य में दंगे भड़क उठे थे, जिसमें कई लोगों की जान गई थी।

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