नई दिल्ली : 26 मई को दिल्ली उच्च न्यायालय ने बाइक टैक्सी सेवाओं को रोकने के लिए दिल्ली परिवहन विभाग द्वारा जारी नोटिस पर रोक लगा दी है. कोर्ट के इस फैसले से उबर और रैपिडो जैसे बाइक टैक्सी एग्रीगेटर्स को राहत मिली है. उबर और रैपिडो के अनुसार, जस्टिस सुरेश कुमार कैत और नीना बंसल कृष्णा की बेंच ने परिवहन विभाग को रैपिडो और उबर के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाने का निर्देश दिया, जब तक कि पॉलिसी तैयार नहीं हो जाती.
रैपिडो ने एक बयान जारी करते हुए कहा, “हम दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा जारी किए गए आदेश का स्वागत करते हैं, जिन्होंने घोषणा जारी करते हुए कहा है कि ‘दिल्ली NCT में संबंधित अधिकारियों द्वारा बाइक टैक्सी ऑपरेटरों और उसके सवारों के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाएगी, जब तक कि सरकार शासन करने के लिए आवश्यक नियमों को अधिसूचित नहीं करती.
साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि हमारे लिए “यह एक शानदार जीत है और हम इसे हमारी राष्ट्रीय राजधानी में लाखों लोगों पर बाइक टैक्सियों के अत्यधिक प्रभाव का एक शक्तिशाली इच्छापत्र के तौर पर देखते हैं. बाइक टैक्सी भारत जैसे प्रगतिशील राष्ट्र के लिए एक परिवर्तनकारी नवाचार का प्रतिनिधित्व करती है. और साथ ही यातायात की भीड़, बेरोजगारी, अंतिम-मील कनेक्टिविटी और पर्यावरण प्रदूषण जैसी गंभीर चुनौतियों का सामना करने में मदद करती है.
वहीं एक अन्य एग्रीगेटर उबर का भी बयान सामने आया है जिसमें उन्होंने ने कहा है ‘हम दिल्ली में बाइक टैक्सियों पर जबरदस्ती की कार्रवाई से उबर को सुरक्षा देने के उच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करते हैं. कोर्ट के इस फैसले से हमारे प्लेटफॉर्म पर काम कर रहे उन ड्राइवरों को राहत मिलेगी जिनकी आजीविका प्रतिबंध से प्रभावित हुई है और साथ ही उन सैकड़ों और हजारों सवारों को भी राहत मिलेगी जो सामर्थ्य और अंतिम-मील कनेक्टिविटी के लिए बाइक टैक्सी का ऑप्शन चुनते हैं. एक प्रवक्ता ने कहा कि हम शहर की सेवा करने और सवारियों और ड्राइवरों के लिए समान रूप से पसंद का मंच बनने के लिए देश भर में प्रतिबद्ध हैं.
आपको बता दें कि इस साल फरवरी में, परिवहन विभाग ने उबर, रैपिडो और ओला जैसे एग्रीगेटर्स को अपनी बाइक टैक्सी सेवाओं को तुरंत प्रभाव से रोकने के लिए एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया था. परिवहन विभाग ने नोटिस जारी करते हुए कहा है कि गैर-परिवहन (निजी) पंजीकरण चिह्न/नंबर वाले दोपहिया वाहनों का उपयोग यात्रियों को किराए पर ले जाने के लिए किया जा रहा है जो की कमर्शियल सञ्चालन में आते हैं और इनका प्रयोग पूरी तरह से मोटर वाहन अधिनियम, 1988 का उल्लंघन है.
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