राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने बच्चे की हत्या का आरोप झेल रही महिला को बरी कर दिया है. कोर्ट ने यह कहते हुए उसे बरी कर दिया कि महिला प्री मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम यानी premenstrual stress syndrome (PMS) से जूझ रही थी. बता दें यह महिलाओं को हर महीने होने वाली महामारी, डेट या पीरियड्स हैं जिसे पीएमएस कहा जाता है.
जयपुर: अपने बच्चे की हत्या का आरोप झेल रही महिला को राजस्थान हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है. दो जजों की बैंच ने महिला को बरी करते हुए विचित्र सा कारण दिया. हाईकोर्ट ने कहा कि महिला ने बच्चे की तब हत्या की, जब वह प्री मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम यानी premenstrual stress syndrome (PMS) से जूझ रही थी. बता दें यह महिलाओं के हर महीने होने वाली महामारी, डेट या पीरियड्स हैं जिस दौरान महिलाएं कई तरह की भावनाओं से जूझती है. महिलाओं महीने की इन 5 दिनों में चिड़चिड़ी व मानसिक उथल-पुथल से गुजरती हैं.
ये है प्री मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम से जूझ रही महिला का मामला
अजमेर जिले के नासिराबाद में 21 वर्षीय चंद्रा कुमारी ने अपने तीन बच्चों को कुएं में धकेल दिया था जिसमें से दो बच्चों को डूबने से बचा लिया गया था वहीं महिला के एक बच्चे की मौत हो गई थी. कोर्ट ने चंद्रा को आईपीसी की धारा के तहत मर्डर का दोषी ठहराया था. दोषी के वकील ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि जब यह घटना घटी उस दौरान महिला प्री मंस्ट्रुअसल सिंड्रोम से गुजर रही थी. राजस्थान हाईकोर्ट ने देश-विदेश में हुए सामान मामलों का उदाहरण भी दिया. जब महिलाएं पीरियड्स के दौरान हिंसक हो जाती हैं. कोर्ट ने कहा कि भारत में पीएमएस को लेकर कानून विकसित नहीं है.
कोर्ट में आरोपी के डॉक्टर ने बताया कि कुछ महिलाएं पीरियड्स में कुछ अजीब सा बर्ताव करने लगती हैं. डॉक्टर ने दावा किया कि पीएमएस के दौरान महिलाएं इतनी हिंसक हो जाती हैं कि वह आत्महत्या करने पर भी उतारू हो जाती हैं. एक अन्य डॉक्टर ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए बताया कि उन्होंने महिला का इलाज किया था. महिला में पीएमएस का लक्षण इतना तीव्र हो जाता है कि कई बार उसे इंजेक्शन देकर शांत करना पड़ता है.
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